hindipoems.org
Hindi Poem on Rape – बेटी की अस्मत
कुण्डी ना खड़काओ चुप रहो आज महीनो बाद मेरी बच्ची सोई है आँखे सूजी और गायब है हाँसी उसकी सारी बिना गुन्हा के रोई है धीमी करवा दो पड़ोस के टीवी में चल रहे समाचारो की आवाज काँप उठेगी फिर से वो सुना अगर …