Hindi Poem on Umbrella – तुम्हारा छाता

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कड़कती धूप से मैं बचाता
तेज़ बारिश में मैं काम आता
हरा गुलाबी लाल नीला काला
हर रंग में मैं हूँ मिल जाता
मुझको बंद करके छड़ी बना लो
खुल जाऊं तो काम लगा लो
इतना भी क्या सोच रहे हो
मैं हूँ तुम्हारा अपना छाता
– अनुष्का सूरी

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7 thoughts on “Hindi Poem on Umbrella – तुम्हारा छाता”

  1. बहुत अच्छा …
    हिंदी में और कविताएं और शब्द के लिए मुझसे जुड़े …
    @imkumarsonalblog

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