सर्दी की धूप में, गर्मी की छाँव में
शहर की भीड़ में, शांत सुखद गाँव में
कूड़े के ढेर में, पानी के गंदे संग्रह में
मैं मच्छर मिल जाता हूँ हर राह में
कभी मैं डेंगू फैलाऊँ
या मलेरिया मैं ले आऊँ
चिकनकुनिया हो या हो ज़ीका
बीमारी फ़ैलाने का मेरे पास तरीका
यदि रहना है मुझसे दूर
तो पहले रखो गंदे जल को दूर
घर में हो ओडोमॉस आल आउट का वास
लगा दो खूब सारे नीम के वृक्ष आस-पास
देर रात निकलो जो बाहर तो पहनो पूरे कपड़े
यह सब सावधानी से हम किसी को न जकड़ें
-अनुष्का सूरी
A constructive message with a poem ..
That’s amazing.
👍👏👏👏
Thank you 🙏
Most welcome
बहुत सुंदर । आप कितना सुंदर लिखती है ।।
धन्यवाद