कायर जिसे समझा जाँबाज निकला
उसका अलग ही अंदाज निकला
बेचता रहा जो उम्र भर दवाइयाँ
बुढ़ापे में दवा को मोहताज निकला
ईमानदारी का ढिंढोरा पीटने वाला
खुद बेईमानों का सरताज निकला
जिसे हमने जहर समझकर फेंक दिया
हमारी बीमारी का इलाज निकला
मारे जाओगे अगर सत्ता के विरुद्ध
मुख से एक भी अल्फाज निकला
गैर को बदनाम मत कर ‘राहुल’
अपना ही अक्सर दगावाज निकला
- राहुल रेड
लाजवाब लेखन—बहुत बढ़िया👌👌👌
बहुत खूब लिखा है
Nice😇