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Hindi Poem on Monsoon-सावन की बौछारोँ
सावन की बौछारोँ के मध्य, एक ध्वनि परिचित-सी, धीरे-धीरे बढ रही। एक सूकून ह्रदय की दीवारोँ को बेधता, मस्तिष्क मे पहुँचा, बोला-पहचान तो कर। काफी इंतजार से क्षीण था, एक संतुष्टी जगी प्रकट देखकर, वह तो …