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Hindi Poem on Dreams-Jeevan Ka Marg
जीवन का मार्ग मैं जिसमें चुन -चुन कर कदम रखती हूँ, जीवन का वो हर मार्ग मैं खुद ही बनाती हूँ। एक भूलभूलैया सा नज़र आता है खुद की आँखों में, मै अपनी नज़रों में ही खो जाती हूँ। जीवन किसी रेल सा गुजरता ह…