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Hindi Poem on Self-Betterment – Andar Baitha Ravan
अंदर बैठा रावण जो सालों पहले ही मर गया, उसको हर बार जलाते हो,मिनटों की शौखों की खातिर पैसा तुम व्यर्थ बहाते हो।बुराई की पराजय का तुम क्यों ये ढोंग रचाते हो,जो अंदर बैठा है छिप के, उसको क्यों भूल जा…