Hindi Poem on Citizenship Amendment Act 2019 (नागरिकता संशोधन कानून 2019)-Kaun Kasoorvar

कौन कसूरवार

ये जो गलियां कल तक झूम रहीं थी,
आज ना जाने क्यों चुप हैं।
सड़के बस तन्हा सी चली जा रही
जाने इनको कौन सा दुख है ।
ये कैसा सन्नाटा छाया है ?
ये कैसा समय अब आया है?
कौन बतायेगा हमें,
कहीं से कुछ लोग मिले
जो कुछ-कुछ कहने लगे
किसी ने कहा “सुना नहीं
क्या हुआ इस मुहल्ले में?”
“अरे! उन बच्चों की चीखें
कैसे नहीं सुनी तुमने”
“हाहाकार की आवाज़ें तो गूंज उठी थी”
पर मैंने तो कुछ सुना नहीं
“बेचारे अनाथ बच्चे थे”
“बहुत मारा उन्हें उन्होंने “
“कौन से बच्चे, किसने मारा, क्यों मारा ?”
मेरे सवाल से वो सहम गए और कहा
“तुमने नहीं सुना तो हमें भी नहीं पता “
विनती और कई वादों के बाद पता चला
जो सच,उसने तो दिल छलनी कर दिया
धर्म की राजनीति ने मासूमों को पीटा
और साथ दिया कानून के रखवालों ने
पर उन बच्चों ने किया क्या था
“कुछ नहीं बस मुल्लों के घर पैदा हुए थे”
तो किसी ने उन्हें बचाया क्यों नहीं
कौन बचाता? बचाने वाले तो मार रहे थे
उन मासूमों को ठीक ही मिली सज़ा
उनका गुनाह था ही इतना बड़ा
होगा बड़ा बने का दहशतगर्द
मर जाये तो कम होगा सर दर्द
कहाँ से लाएंगे वो सबूत भारतीय होने का?
पर किसी ने नहीं माँगा सबूत उनके देश भक्ति का
सोचा मैंने वो साबित करना कठिन है बड़ा
एक अनाथ कहा से लाएगा बाप दादा
“मर गए सब या है बचा कोई?”
“नहीं नहीं मरा कोई नहीं
चोटिल हैं पर बच गए सभी”
“जीवित है क्या यही है काफी? “
“नहीं तो क्या दीजियेगा गुनाहगारों को फांसी”
कह कर ये वो हंसने लगे,
ना किसी ने कुछ किया, ना कर सकता है।
मैंने भी सबकी तरह हाथ बांधे और बढ़ गया।
रास्ते में आए पत्थरों से बचकर निकल पढ़ा।।

-सामरा मैमून उस्मानी

English meaning for international readers:

The poet expresses plight over the condition of young students who were beaten severely during protests against Citizenship Amendment Bill (CAB) 2019 solely based on their religion (Muslims). The poetry is based on the current state of affairs in India with a large section of youth opposing the CAB.

10 thoughts on “Hindi Poem on Citizenship Amendment Act 2019 (नागरिकता संशोधन कानून 2019)-Kaun Kasoorvar”

  1. Accha likha hai aapne par sayed aapko pura sach likhne ki jarurat hai..
    Kon se sareef bacche kisi religion ko gali dete hai??
    Patther kon chalata hai??
    Aag kon lagata hai??
    Bahut saare questions hai jinka ans baki hai.
    Sayed aap help kr paye mujhe ye samjhne me

    1. माफ़ करे,
      जिस #religion की आप बात कर रहें उसे क्यों रचा गया उसे जानना ज़रूरी है। (8वीं सदी के हिस्ट्री को जरूर पढ़ें, अगर फुरशत हो तो)
      पत्थर चलना बुरा है ,अगर आप अपनी रक्षा ना कर रहें हों तो।
      आग जब सोच में लगे, लेखनी में लगे बहुत सही चीज़ होता है।
      किसी पॉलिटिकल पार्टी का तरफ़दारी नहीं कर रहा बस एक विद्यार्थी की तरफ़ से बोल रहा हूँ। जो अब इन बढ़ती फ़ी की वजह से अपने सपनो से रुक्सत हो भीड़ में कुचलने के सिवा कुछ नहीं कर सकता।

      1. Itna to padha hai maine ki chije samjh saku.
        Up log fee ka rona ro rahe wahi gf ke sath kisi acche restaurKat me jaa kar fee se jayada paise kharach kar aate hai.
        Mujhe lgta hai aapne padha bahut hai par samjha nhi hai. Padhne ke sath chijo ko samjhiye phir sayed app aisa na kahe.

  2. बेह्तरीन,
    लोगों की सोच अलग होना लाज़मी हैं। मगर कविताओं के द्वारा अपनी बातें रखना और ही बात है।
    😍

  3. What an awesome poem you dare to write.
    We all our constitutional lover and human lovers are telling you thanks for expressing your thoughts this way…

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