Category Archives: Abstract Poems

Hindi Poem on Nature – Prakriti

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सबका पालन करने वाली
सबको भोजन देने वाली
मेघा सब बरसाने वाली
धूप को दर्शाने वाली
चाँद सूरज दिखाने वाली
धरती को घुमाने वाली
जीव जन्तु बनाने वाली
खेत में फसल उगाने वाली
ठण्डी हवा चलाने वाली
बादल को गरजाने वाली
धरती को कपाने वाली
प्रकृति है सब करने वाली

– अनुष्का सूरी

Sabka palan karne wali
Sabko bhojan dene wali
Megha sab barsane wali
Dhup ko darshane wali
Chand Suraj dikhane wali
Dharti ko ghumane wali
Jeev Jantu banane wali
Khet mein fasal ugane wali
Thandi hawa chalane wali
Badal ko garjane wali
Dharti ko kapane wali
Prakriti hai sab karane wali

– Anushka Suri

Hindi Poem on Success – कामयाबी

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कामयाबी क्यूँ न हमे मिले,
जब चलना हमारा काम है।
रास्ते कभी न रोक सके,
जब पैरो मे अपने जान है।
सीखा है हमने ये सदा,
जीते तो दुनिया गुलाम है।
अपने प्रण मे रहे हम द्रण,
माँगा ये वरदान है।
कामयाबी क्यूँ न हमें मिले,
जब चलना हमारा काम है।

-नीरज चौरसिया

Kamyabi kyun n hmein mile
Jab chalna hamara kaam hai
raste kbhi na rok ske
jab pero me apne jaan hai
sikha hai hmne ye sda
jite to duniya gulam hai
apne pran mein rhe hm dran
manga ye vardaan hai
kamyabi kyu na hme mile
jab chlna hmara kam hai

-Niraj Chaursiya

Hindi Poem on Yoga – ये है योगा

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ये है योगा
इसको जो भी करेगा
वो स्वस्थ होगा
ये है योगा
जो भी रोज़ करेगा
लाभ उसे होगा
ये है योगा
आसन जो करेगा
उसका विकास होगा
ये है योगा
जो ज़ोर से हसेगा
उसका खून बढ़ेगा
ये है योगा
ये है योगा

– अनुष्का सूरी

Ye hai yoga
Isko jo bhi karega
Wo swasth hoga
Ye hai yoga
Jo bhi roz karega
Labh use hoga
Ye hai yoga
Asan jo karega
Uska vikas hoga
Ye hai yoga
Jo zor se hasega
Uska khoon badhega
Ye hai yoga
Ye hai yoga

– anushka suri

Learn Yoga – Yoga Sikhiye

Hindi Poem for Dad – पिता जी

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मेरे पूज्य पिता जी
है सबसे बहादूर
वो सबसे बलवान
उनकी सूझ बुझ के आगे
कहाँ टिक सके कोई शैतान
वो मुझको अच्छी बातें सिखाते
मुशीबत से डट क लड़ना बताते
बाबा कहते है संघर्ष करो
मुश्किल से न तुम डरो
खूब मेहनत सच्चाई क साथ
जीत होगी तुम्हारे हाथ |
– अनुष्का सूरी 

Mere Pujya Pitaji 
Hain sabse bahadur
Wo sabse balwaan 
Unki sujh bujh ke aage 
Kahan tik sakein koi shaitan 
Wo mujhko acchi batein sikhate
Musibat se dat ke ladna batate 
Baba kehte hain sangharsh karo
Mushkil se na tum daro
Khub mehnat sachai ke sath 
Jeet hogi tumhare hath 

– Anushka Suri

Poem on Modern Life-आधुनिक युग

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कुछ गाड़ियों में चलते है कुछ टुकड़ो पर पलते है,

कुछ ऐ सी में रहते है कुछ सड़को पर सड़ते है,

इन्शानियत को भूलकर लोग धर्मो के लिए लड़ते हैं,

लानत है इस युग पे जिसे आधुनिक कहते है ।

इस दुनियाँ में भी लोग अजीबोगरीव रहते है,

कुछ इंग्लिश का पउआ लगाते कुछ रोटी को तरसते है,

बुजुर्गो को ठुकराकर लोग गाय को माता कहते है,

कुछ दुःखों से वंचित तो कुछ हँसते हँसते सहते हैं,

लानत है इस युग पे जिसे आधुनिक कहते है ।

गरीबो की मेहनत पूँजीपति खा रहे हैं,

आजकल के विद्यार्थी यो यो हनी सिंह गा रहे है,

पेड़ दिन बा दिन तेजी से काटे जा रहे है,

खुद जंगल कटवाकर धरती को माँ कहते है,

लानत है इस युग पे जिसे आधुनिक कहते है ।

बेघर हुए जंगली को जो जानवर कहते है,

वो क्या जानें असली जानवर तो शहरो में रहते है,

रेप की घटनाएँ इस कदर हो रही हिंदुस्तान में,

इंसानियत मिटती जा रही है आज के इंसान में,

कुछ लोग बेटियों को धरती का बोझ समझते  है,

लानत है इस युग पे जिसे आधुनिक कहते है।

कोई अपनों को खोता है कोई भूखे पेट सोता है,

जिंदगी के सफ़र में हर गरीब रोता है,

बहुत से झमेले हैं इन दर्द गमो के मेले में,

जीकर भी तू मर रहा गुमनामी और अकेले में,

जिंदगी तो मेहमान है पल दो पल जी लेने में,

हर दुःख और हर गम हँसकर पी  लेने में,

किसी को होती नहीं सूखी रोटी तक नसीब,

कोई खिला रहा कुत्तो को ब्रेड बटर के पीस

इन ब्रेड बटर को देखकर बदनसीबो के दिल मचलते है,

लानत है इस युग पे जिसे आधुनिक कहते है ।

-राहुल कुमार