नववर्ष का शुभ आशीष
हो उन्नत धरा अनाजों से,
हो विकसित नर विचारों से,
न जन्में लड़का और लड़की,
बस आंगन खिले संतानों से,
आगे बढ़ें मिल सब धर्म यहाँ,
प्रेम स्वर निकले हर इंसानों से,
यही सिखा गया हमें बीता अतीत,
है यही नव वर्ष का शुभ आशीष।
-मयंक गुप्ता
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Hindi Poem on New Year-Naya Saal
नया साल
गुज़रे कल को जाने दो
नववर्ष को आने दो
गिले-शिकवे मिटाएंगे
गीत नये अब गाएंगे
एक -दूसरे से जानेंगे हम सब का हाल
देखो-देखो आया नया साल, आया नया साल
अच्छी बातों से सबक लें हम
सत्य के आंचल में दुबक लें हम
सत्य मार्ग पर गमन करें
झूठ से दूर रहेंगे
दुबक-दुबक कर जाना कि कितना खट्टा-मीठा था पुराने वर्ष का जाल
देखो-देखो आया नया साल,आया नया साल
मनमुटाव को दूर करें हम
जानें दिल की बात
भेद-भाव ना रखना कोई
जागेगी अब किस्मत सोई
होना है अब तो किस्मत से मालामाल
देखो -देखो आया नया साल, आया नया साल
द्रिग को ना करो प्लावन
नववर्ष भी काल प्रवाहिनी बन जाएगा
विनाशकारी ना हो न्यू ईयर
न बनने पाए केस कोई रियल
धन दौलत ना होने दो पर ना होना हंसी से भी कंगाल
देखो-देखो आया नया साल, आया नया साल
मन के अँधेरे चमन में
विवेक रूपी पुष्प हो
विघ्न बाधाओं का अभिनंदन करें हम
त्यागमय, दयावान और गौरव उज्जवल रहें हम
तारे बनकर उभरें हम, ताकी भविष्य बनें कमाल
देखो-देखो आया नया साल, आया नया साल
आहान करो कुछ कर्तव्यों का
तन,मन, धन से प्रण करो
सृष्टि के नवयुवक हम
सभ्यता,संस्कृति और प्रकृति से हम
सबके हित में हो हम नवयुवकों की चाल
देखो-देखो आया नया साल, आया नया साल
– रीत (रितिका) दाँगी