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Motivational Hindi Poem-Zindagi

ज़िन्दगी (कविता का शीर्षक)
कभी कभी कुछ चीज़ें
अपने मन की भी कर लेनी चाहियें
क्योंकि ये जिंदगी बहुत छोटी है
उसे बस जी लेनी चाहिए
हर मोड़ पर आई रुकावटों का
सामना कर लेना चाहिए
हार मत मानना क्योंकि
ये जिंदगी एक ही है
उसे बस जी लेनी चाहिए
-मानसी गावंड (कवयित्री)

English Translation:

Zindagi (Life) (Title of the Poem)

Kabhi kabhi kuch cheezein (Sometimes few things)

Apne man ki bhi kar leni chahiye (should be done following your heart)

Kyonki ye zindagi bahut choti hai (Because this life is very short)

Use bas jee leni chahiye (We should live/enjoy our life)

Har mod par ayi rukawato ka (The hurdles we face at each step)

Samna kar lena chahiye (We must face them with courage)

Har mat maan na kyonki (Do not accept defeat because)

Ye zindagi ek hi hai (You have only one life to live)

Use bas jee leni chahiye (You must enjoy it)

-Mansi Gawand (Poetess)

Motivational Poem-Abhi Shuruwat Hai

जब हिम्मत टूटने लगे समझना अभी शुरुआत है !!

मिट जाएगा अंधेरा होगा नया सवेरा ज्यादा नहीं बस दो-चार पल की रात है.
जब हिम्मत टूटने लगे समझना अभी शुरुआत है !!

ऐसे नहीं मिलती मंज़िलें रास्ते चुन लो सही.
चलते रहो बनकर पथिक काँटों की परवाह कर नहीं.

पैरों में जब छाले पड़ेंगे दर्द छोटी बात है.
जब हिम्मत टूटने लगे तो समझना कि अभी शुरुआत है!! 

बर्फ से पाला पड़ेगा रुकने ना देना कदम .
सूर्य भी पिघलाएगा तब पड़ ना जाना तुम नरम .

अरमान बहने दो ना अब इम्तिहान की बरसात है .
जब हिम्मत टूटने लगे तो समझना कि अभी शुरुआत है !! 

सफर आधा कर लिया हिम्मत लगी जब टूटने .
कमज़ोर तुझको देख सब इज्जत लगेंगे लूटने .
बन रहा कलंक क्यों ? दुष्टों की यहां बारात है.

जब हिम्मत टूटने लगे तो समझना अभी शुरुआत है !! 

जितनी भी ठोकर खा रहा तू गिर रहा उठ कर के चल. 
हृदय में पत्थर बांध ले हर बार गिर गिर कर संभल.
मत हार हिम्मत होगी कल मंज़िल से मुलाकात है.

जब हिम्मत टूटने लगे तो समझना कि अभी शुरुआत है !! 

ये रास्ते होंगे कठिन मज़बूत तुमको कर रहे.

कि लड़ सको यमराज से तुम व्यर्थ में क्यों डर रहे ? 
टिकता समर में वीर वो हर शस्त्र जिसको ज्ञात है .

जब हिम्मत टूटने लगे तो समझना कि – अभी शुरुआत है !! 

ऐसे बन जाओ तुम हर खतरों से जो लड़ सको.

अर्जुन सा बन कर लक्ष्य के हर दुर्ग पर तुम चढ़ सको.

कहता है आर्यन सिंह इम्तिहान के बाद नव प्रभात है .

जब हम मत टूटने लगे तो समझना अभी शुरुआत है !! 

क्रांतिकवि आर्यन सिंह यादव