Hindi Poem on Rape Crime- कितनी मासूम है
कितनी मासूम है तेरी एक वो आवाज़ जी चाहता है मासूमियत से सुनती जाऊँ तेरी वो आवाज़ तेरी आवाज़ में आग महसूस किया है मैंने जो लाखों बेजान दिलों में एक आस जगा देगी तेरी आवाज़ में वो चिंगारी है जो निकलती तो मासूमियत से है पर एक तबदील हो जाती है जब मैंने तेरी […]