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Poem on Hindi Language-Hindi Matrabhasha

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हिंदी मातृभाषा

हिंदी मातृभाषा है ये अभिमान मेरा है,
इसे पंक्तिबद्ध करना ही अरमान मेरा है।
कवि का कर्म लेखन है, कवि का धर्म लेखन है,
जो दिल से समझे ये दुनिया कवि का मर्म लेखन है।
मेरा कवि हृदय भी भाव विभोर हो उठता है,
जब अपने दिल के भावों को पृष्ठों में उकेर देता है।
हिंदी मातृभाषा है……….
इसे पंक्तिबद्ध करना ही………
तुक छंद के मेरी मातृभाषा में सुरभित हैं,
अलंकारों की रमणीयता से ये शोभित है।
एक-एक शब्द एक -एक मोती की चमक देता है,जब उसका अपना एक प्यारा सा अर्थ होता है।
अर्थहीन नहीं मेरी भाषा ये सटीक सार्थक है,
इसको पढ़ना और सीखना नहीं निरर्थक है।
सम्पूर्ण विश्व में ये पैैगाम देना है,
मेरी मातृभाषा को सम्मान देना है।
हिंदी………
इसे पंक्तिबद्ध करना….
हिंदी मातृभाषा से जो ये मेरा जन्म का बंधन है,
मै तो बंध गई इसमें कितना प्यारा मेरा जीवन है।
कब कविता निकली मुख से कब स्याही से मोती सी जड़ गई पृष्ठ पर ,
ये सब मातृभाषा के कारण है।
मातृभाषा की सुन्दरता कितनी अविरल है,
हिंदी माँ मेरी कितनी निश्छल है।
हिंदी मातृभाषा है ये अभिमान मेरा है,
इसे पंक्तिबद्ध करना ही अरमान मेरा है।

-कविता यादव

Poem on Hindi Divas – हिंदी दिवस पर कविता

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हिंदी दिवस के अवसर पर
आओ हम सब करें विचार
कितनी बार किया है हमने
मातृ भाषा का कोई प्रचार
क्या अंग्रेजी हाई छोड़कर
कभी किया हमने नमस्कार
या कभी खोलकर देखा
हमने हिंदी का अख़बार
भारतीय हो तो हिंदी बोलो
राष्ट्र भाषा का भी करो संचार
-अनुष्का सूरी