Category Archives: Hindi Poem for Daughter

Hindi Poem for Women – समानता

अंदर से रोती फिर भी बाहर से हँसती है
बार-बार जूड़े से बिखरे बालों को कसती है
शादी होती है उसकी या वो बिक जाती है
शौक,सहेली,आजादी मायके में छुट जाती है
फटी हुई एड़ियों को साड़ी से ढँकती है
खुद से ज्यादा वो दुसरो का ख्याल रखती है
सब उस पर अधिकार जमाते वो सबसे डरती है
क्योंकि बिकी हुई औरत बगावत नही करती है।

शादी हकोर लड़की जब ससुराल में जाती है
भूलकर वो मायका घर अपना बसाती है
घर आँगन खुशियो से भरते जब वो घर में आती है
सबको खाना खिलाकर फिर खुद खाती है
जो घर संभाले तो सबकी जिंदगी सम्भल जाती है
लड़की शादी के बाद कितनी बदल जाती है।
गले में गुलामी का मंगलसूत्र लटक जाता है
सिर से उसका पल्लू गिरे तो सबको खटक जाता है
अक्सर वो ससुराल की बदहाली में सड़ती है
क्योंकि बिकी हुई औरत बगावत नही करती है।

आखिर क्यों बिक जाती, औरत इस समाज में?
क्यों डर-डर के बोलती, गुलामी की आवाज में?
गुलामी में जागती हैं, गुलामी में सोती हैं
दहेज़ की वजह से हत्याएँ जिनकी होती हैं
जीना उसका चार दीवारो में उसी में वो मरती है
क्योंकि बिकी हुई औरत बगावत नही करती है।

जिस दिन सीख जायेगी वो हक़ की आवाज उठाना
उस दिन मिल जायेगा उसे सपनो का ठिकाना
खुद बदलो समाज बदलेगा वो दिन भी आएगा
जब पूरा ससुराल तुम्हारे साथ बैठकर खाना खायेगा
लेकिन आजादी का मतलब भी तुम भूल मत जाना
आजादी समानता है ना की शासन चलाना
असमानता के चुंगल में नारी जो फँस जाती है
तानाशाही का शासन वो घर में चलाती है
समानता से खाओ समानता से पियो
समानता के रहो समानता से जियो
असमानता वाले घरों की, एक ही पहचान होती है
या तो पुरुष प्रधान होता या महिला प्रधान होती है
रूढ़िवादी घर की नारी आज भी गुलाम है
दिन भर मशीन की तरह पड़ता उन पे काम है
दुःखों के पहाड़ से वो झरने की तरह झरती है
क्योंकि बिकी हुई औरत बगावत नही करती है।

-राहुल रेड

Hindi Poem on Daughter – मैं आई तो क्यों

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आज जब मैं जहां में आयी तो क्यों इंतेजार था किसी और का।
क्यों आते ही सताने लगा एक डर का एहसास तुम्हें माँ।
नारी के जन्म का अभिमान करो।
धरा की तरह सहती है कष्टों की बुनियाद।
फिर भी बस खुशियाँ ही तो लुटाती है नारी।
तो किस बात का अफ़सोस माँ।
एक दिन होके बड़ी पापा तुम्हारा सहारा बनूंगी।
बेटों से भी बढ़के मझदार में किनारा बनूँगी।
तो क्यों उदास हो पापा।
कितनी छोटी हूँ हाथों में तो उठाओ।
गले से लगाके मुस्कुराओ न माँ।
क्यों नारी ही अस्तित्व तलाशती है माँ।
क्या बेजान जिस्म है मेरा या सम्बेदना से दूर हूँ मैं।
जो हर बार गाल पे तमाचा सहती हूँ माँ।
क्यों पिता का कन्धा झुका सा रहता है।
क्यों नहीँ मुझपे भी फक्र होता है।
क्या कुछ अर्थ नहीँ मेरे जीवन का।
अनपूर्णा कहते हैं पर भूख मेरी ही अधूरी रह जाती है।
रातों को क्यों नहीँ कोई माथा सहलाता है मेरा।क्यों खफा होने पर मुझे कोई मनाता नहीँ।
फूल चढ़ाते हैं देवी पर।पर घर की देवी क्यों हर वक़्त तिरस्कृत रहती है माँ।
क्या आज मेरा ये मांगना गलत है की आज जब मैं जहां में आयी तो क्यों इंतेजार था
किसी और का।क्या कभी मेरे आने पर भी खुशियाँ मनायी जाएँगी?

-गौरव

Aaj jab main aai to kyon intezar tha kisi aur ka
Kyon aate hi drane lga ek dar ka ehsas tumhe maa
Nari k janam ka abhimaan kro
Dhra ki trh shti hai kashton ki buniyad
Fir bhi bas khushiya hi lotati hai nari
Too kis bat ka afsos maa
Ek din ho ke badi papa aapka shara banugi
Beto se bad k mjhdhar me kinara banugi
To kyon udas ho papa
Kitni choti hu hathon main to uthao
Gale se lga k muskrao na maa
Kyon nari hi aastitav tlashti hai maa
Kya bejaan jism hai mera samvedbna se dur hoon mein
Jo har bar gaal pe tamacha sheti hoon maa
Kyon pita ka kandha jhuka sa rhta hai
Kyon nai mujpe bhi fkr hota
Kyon kuch arth nai mere jivan ka
Anpurna khte hai par bhukh meri adhuri rh jati hai
Raton ko koi kyu ni mata shlata mera khfa hone par muje koi manata nai
Fhul chdte hai devi par par ghr ki devi ku har vakat tirskrit rhti hai maa
Kyon mera aaj yeh mangna galt hai ki aaj jab mein jhan mein aayi to kyon intezar tha
Kisi aur ka kya kabhi mere ane par bhi khushiyan manai jayegi

-Gurav

Hindi Poem on Daughter – मैं बेटी हूँ

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माँ दुर्गा की शक्ति हूँ
मैं भी पढ़ लिख सकती हूँ
मात पिता की सेवा जानूँ
अपने फ़र्ज़ को मैं पहचानूँ
जब थी इस दुनिया मैं आई
सारे शहर में बँटी मिठाई
मुझको लाड प्यार से पाला
स्कूल भेज सिखाई वर्ण माला
मैं अपने घर की शान हूँ
हाँ मैं बेटी वरदान हूँ

– अनुष्का सूरी

 

Maa durga ki shakti hu
Main bhi padh likh sakti hu
Mat Pita ki sewa janu
Apne farz ko main pehchanu
Jab thi is duniya mein ayi
Sare shahar mein bati mithai
Mujhko lad pyar se pala
School bhej sikhayi varn mala
Main apne ghar ki shaan hu
Haan mein beti vardaan hu

– Anushka Suri