Motivational Hindi Poem-Har Dashanan Ko Hara De

हर दशानन को हरा दे..
जो चुनौती दी है तुझको,
वक़्त ने रावण बनाकर
हर दशानन को हरा दे,
कर्म को लक्ष्मण बनाकर

है सफर मुश्किल तो क्या है
मंजिलों पर रख नजर तू
कुछ कदम पर है सफलता
अपने दिल को दे खबर तू
मील के पत्थर को छूले,
एक विजेता मन बनाकर

जो तरसती आस है
सपने चलो उसमें सजा दें
मर रहा विश्वास उसमें
हौसलों की फिर हवा दें
इस धरा पर चांद लायें,
स्वप्न कुछ पावन बनाकर

रास्तों पर है अंधेरा
चुभ रहे पैरों में काँटे
बुझ गयी अंतिम किरण भी
फिर भी सांसो को समेटे
रात की कालिख मिटा दे,
सुबह को रौशन बनाकर

वो निगाह तुझ पर टिकी है
जिनके चेहरों पर उदासी
सूखते दरिया मे जैसे
रो रही हो मीन प्यासी
दर्द को महसूस कर ले,
आंख को सावन बनाकर

मुहँ मे अटकी है जुबां
क्यों शब्द भारी क्यों बने हैं
बोलना अब है ज़रूरी
प्रश्नचिन्ह कितने घने हैं
सीख अपनी बात कहना,
सच को उच्चारण बनाकर

एक सपना, एक इरादा
साथ में सम्मान रख चल
राह मे आंखें बिछाये
देखते शिलालेख,
लिख चल एक कहानी इनके ऊपर,
खुद को उदाहरण बनाकर

आग तुझमें जल रही है
क्यों डराता है अंधेरा
स्वर्ग तेरी मुट्ठीयों में
पास ही तो है सवेरा
दिशा अनोखी जिंदगी को
दे कोई कारण बनाकर

आसमा पर रख निगाह
फिर संग होंगे चांद तारे
घोल कर सोने में खुशबु
अपनी दुनिया को सँवारे
क्या मिला है यहां
किसी को लक्ष्य साधारण बनाकर
-राम वर्मा

Hindi Poem on Save Water-Swadeshi Ab Isko Thehralo

स्वदेशी अब इसको ठहरालो

जल-थल का है मोती,
मनु नहीं जलाता इसकी ज्योति |
जीवन चाहो तो बचालो,
स्वदेशी अब इसको ठहरालो ||
स्वप्न हो जायेगी ये खुशहाली,
क्यों चाहते हो ये बदहाली |
अब तो मानो यह अमृत जल,
स्वदेशी अब इसको ठहरालो ||
जल से जीवन का सुन्दर पल,
शाम-सुबह होता इसका उत्कल |
वित्त से नहीं मनोवृत्त से बचालो,
स्वदेशी अब इसको ठहरालो ||
कितना सुन्दर है इसका सूर,
नदियों में शुभ दिन छल-छल |
ध्यान दो इस पर पल दो पल,
स्वदेशी अब इसको ठहरालो ||
इस पर नहीं जो ध्यान दिया,
दुश्परिणामों में है नाम किया |
जीवन को अब तुम सवांर लो,
स्वदेशी अब इसको ठहरालो ||

-संदीप यादव

Swadeshi Ab Isko Thehralo

Jal-thal ka hai moti,

Manu nahin jalata iski jyoti

Jeevan chaho to bachalo ,

Swadeshi ab isko thaharalo.

Svapn ho jayegi ye khushahali,

Kyon chahate ho ye badhali.

Ab to mano amrit jal,

Swadeshi ab isko thaharalo

Jal se jeevan ka sundar pal,

Sham-subah hota isaka utkal.

Vitt se nahin manovritt se bachalo,

Swadeshi ab isko thaharalo

Kitana sundar hai isaka soor,

Nadiyon mein shubh din chhal-chhal

Dhyan do is par pal do pal,

Swadeshi ab isako thaharalo

Is par nahin jo dhyan diya,

To dushparinamo mein hai naam kiya

Jeevan ko ab tum savar lo,

Swaadeshi ab isko thaharalo

-Sandeep Yadav

English Translation:

The poet is urging his fellow countrymen to save water. He says that water is like a precious pearl and we must save it. If you do not take action on saving water today, your prosperity will become a dream. Why do you want to doom yourself? Save water! Pay attention to water crisis at the same very moment, that is today. We are already facing the consequences of our recklessness. Take the right step towards life, and start saving water!

Punjabi Poem on Friendship in Hindi – Yaara

यारा

मेरे सोह्णेया यारा वे
जान तो वी पियारे दिलदारा वे
मेरे लई पैंदी धुप च छाँ वी तू
मेरे हर गम च सुख दा ना वी तू
मेरी ज़िन्दगी च फुलां दी बहार वी तू
मेरे लई रब दी थां तू
मापया तो बाद दूजा नां तू
मेरे हर रिश्ते दी बुनियाद तू
दिल मेरे दी धड़कन वी तू
जिस्म मेरे दी रूह वी तू
मेरे हर साह विच बसेया प्रीत तू
मेरे सोह्णेया यारा वे
जान तो वी पियारे दिलदारा वे

राहुल कुमार

Yaara

Mere sohnya yaara ve
Jaan to vi piyaare dildaara ve
Mere lye paindi dhoop ch chaa vi tu
Mere har gum ch sukh da naa vi tu
Meri zindgi ch phoolan Di bhaar vi tu
Mere lye rabb they thah tu
Maapya to baad duja naa tu
Mere har rishte di buniyad tu
Dil mere di dhadkan vi tu
Jism mere di rooh vi tu
Mere har saah vich bsya preet tu
Mere sohnya yaara ve
Jaan to vi piyaare dildaara ve

-Rahul Kumar

Hindi Poem on Self-Betterment – Andar Baitha Ravan

अंदर बैठा रावण

जो सालों पहले ही मर गया, उसको हर बार जलाते हो,
मिनटों की शौखों की खातिर पैसा तुम व्यर्थ बहाते हो।
बुराई की पराजय का तुम क्यों ये ढोंग रचाते हो,
जो अंदर बैठा है छिप के, उसको क्यों भूल जाते हो।।

पूछो खुद से!! क्या खुशियाँ मनाने का यह एकमात्र तरीका है?
पूछो खुद से!! वायु मलिन कर खुशियाँ मनाना, क्या यह सुगम सलीका है?
पूछो खुद से!!

न किसि का बुरा करो और न ही कुछ गलत सहन करो,
जो करना है तो अंदर बैठे रावण का तुम दहन करो।।
बुराई पे अच्छाई की जीत के नाम पे, रावण दहन हर बार करोगे,
सच में अच्छाई तब जीतेगी, जब तुम जन जन से प्यार करोगे।।
छल जलन, निंदा कपट को मारो प्यारे,
मझधार में अटकी नईया, लग जाएगी आप किनारे।।

शान्तनु मिश्रा

Hindi Poem on Silence is Golden – Maun Aur Muskan

मौन और मुस्कान

मौन में अनंत शांति समायी है,
मुस्कान उस शांति की परछाई है,
गहरा रिश्ता है मौन का मुस्कान से
मैं सुनाता हूं सुनो ध्यान से,

मौन महल है तो मुस्कान द्वार है,
यहां पहुचने के रास्ते हज़ार हैं,
मौन भाव में स्थित होती है जब दृष्टि
तब मुस्कुराती नज़र आती है सम्पूर्ण सृष्टि

यहां हर कोई विचारों और वाक्यों में उलझा है,
मौन को जाना जिसने बस वही सुलझा है,
मौन कारण है तो मुस्कान प्रभाव है
वास्तव में यही तो हमारा स्वभाव है,

सम्पूर्ण सृष्टि मौन भाव में ही विचरती है
मुस्कुराती है अपना कार्य बखूबी करती है,
मुस्कान मौन से ही दिव्यता पाती है,
तभी तो ये मुख की शोभा बढा पाती है,

जब मन पा जाता है मौन अवस्था
तब समझ में आने लगती है सम्पूर्ण सृष्टि व्यवस्था,
मन मौन होने पर मनुष्य तब अचंभित होता है
मुस्कान बन तब उसमें मौन ही प्रतिबिंबित होता है…

-नवीन कौशिक