Motivational Poem to Fight Covid Pandemic


गीत – एक दूसरे से आज क्यों अजनबी हैं हम

एक दूसरे से आज क्यों अजनबी हैं हम,
कैसी आंधी ये चली कि रुक गए कदम।

आओ जरा हंसा भी लें उदास जिंदगी को,
गुनगुना के कर दे कुछ खास जिंदगी को,
थक चुके हैं अब इन मायूसियों से हम,
कैसी आंधी ये चली कि रुक गए कदम।

बनकर किसी का हौंसला उसे हारने ना दें,
हमें मारने आया है जो, यूं उसे मारने न दें
दिल से दिलों को जोड़ कर ये काम कर लें हम,
कैसी आंधी ये चली कि रुक गए कदम।

होठों पर बस हंसी हो भरे मन में हौसला,
हम साथ फिर से होंगे बस है चंद फासला,
एक दूसरे से दूर भला कब तक रहेंगे हम,
कैसी आंधी ये चली कि रुक गए कदम।

-दीपा कांडपाल
काशीपुर (उत्तराखंड)

कविता का भावार्थ: जहां आज कोविड से सारा देश परेशान है , मायूस है । कविता के माध्यम से मैंने लोगों के मध्य सकारात्मकता व उम्मीद बनाए रखने की इस गीत द्वारा कोशिश की है।

Ek dusre se aaj kyu ajnabi hai hum
Kaisi aandhi ye chali ki ruk gaye kadam
Aao jara hsa bhi le udaas jindagi ko
Gunguna ke kr de kuch khaas jindagi ko
Thak chuke hai ab in mayusiyo se hum
Kaisi aandhi ye chali ki ruk gaye kadam
Bankr kisi ka honsala use haarne na de
Hme maarne aaya hai jo yun use maarne na de
Dil se dilo ko jodkr ye kaam krle hum
Kaisi aandhi ye chali ki ruk gaye kadam
Hontho pe bs hsi ho bhare man mai hosala
Hum saath fir se honge bas hai chand fasla
Ek dusre se door bhala kb tk rahenge hum
Kaisi aandhi ye chali ki ruk gaye kadam

-Deepa Kandpal
Kashipur (Uttarakhand)

Hindi Poem on Digital Life during Pandemic- Digital Sa Hai Har Rishta Ab


डिजिटल सा है हर रिश्ता अब

डिजिटल सा है हर रिश्ता अब

दूर से निभाया जाता है

विडियो कॉल पर चेहरा देख ईमोजी से मुस्काया जाता है।

तोहफे , बधाई आदि भेजकर भाव जताया जाता है

बस इतनी सी कोशिश भर से अब रिझाया जाता है।

मिलना मिलाना कम हुआ

व्यस्तता में इससे काम चलाया जाता है

ख़ुश हो लेते है अब ऐसे ही

सब ऐसे ही बहलाया जाता है।

डिजिटल सा है हर रिश्ता

अब दूर से निभाया जाता है। 

-पूजा ‘पीहू’

Digital sa hai hr rishta ab

Digital sa hai hr rishta ab

Door se nibhaya jata hai

Video call pr chehra dekh

Emoji se muskaya jata hai

Tohfe,bdhai aadi bhejkr

Bhav jtaya jata hai

Bs itni si koshshi bhr se

Ab rijhaya jata hai.

Milna milana km hua vystata main

Isse kaam chlaya jata hai

Khush ho jate hain ab aise hi sb

Aise hi behlaya jata hai.

Digital sa hai hr rishta ab

Door se nibhaya jata hai.

-Pooja Pihu

Hindi Poem on Mother -Janani


जननी

महफूज़ किनारा दुनिया का,

जननी का आँचल होता है।

चाहे चाँद खरीदो अंबर का,

चाहे पूरी दुनिया अपना लो तुम।

महफूज़ किनारा दुनिया का,

जननी का आँँगन होता है।

चाहे जितनी शौक बुझा लो,

तरह तरह की चीजों से चाहे तुम सोओ हरपल,

नोटों से भरे हुए बिस्तर पर,

महफूज किनारा दुनिया का,

जननी का दामन होता है।

हर रिश्ते से हटके,

कितना पावन ये दिल का बंधन होता है….

मैं तेरी परछाईं हूँ,

तेरे ही कारण आई हूँँ,

कोख में रखा,

खून से सींचा हाँ माँ!!

मैं तेरी ही जाई हूँ मेरी प्यारी माँ

-शिवांगी सिंह

एक बेटी की ओर से अपनी माँ के प्रति आभार भरी कविता

Janani

Mahfooz kinaara duniya ka,

janani ka aanchal hota hai.

Chahe chand kharido ambar ka,

Chahe puri duniya apna lo tum,

Chahe shauk bujha lo tum

apna Tarah tarah ki cheejon se,

Chahe tum sowo har pal

Noton se bhare huye bistar par

Mahfooj kinara duniya ka,

Janani ka daman hota hai.

Har rishtey se hatke,

Kitna pawan ye dil ka bandhan hota hai…..

Main teri parchhayi hun,

Tere hi karan aayi hun,

Kokh mein rakha,

Khoon se seencha, Haan maa!

Main teri hi jayi hun.

Love you mom

-Shivangi Singh

Hindi Poem on Covid Pandemic-कोरोना महामारी पर कविता


बेबस धरा

उमंग सी किलकती धरा,

हरी ओढ़नी ओढे भू-धरा।

मायूस हो गई है क्यूँ ऐ बता,

क्या खता हमारी अक्षम्य सी।

है प्रण अब रक्षा हम करे,

अपनी धरा के खजानों की।

दे रही है जो हमें जीवनदान,

हम क्यूँ न सहेजे ऐसा मूल्यवान।

होते इस संकट से पार,

जिसके जन है सबसे बङे गुनहगार।

आज न होती बेबस धरा,

गर हम न दोहरे जन्नत सी धरा।

है प्राण वायु के लाले पङे,

धरती ने क्या हमें कम दिए।

पर न समझ हम रह गए,

जो अब सबब दे रही धरा।

है चीत्कार फैला यहाँ,

श्मशान भी पटे है पङे।

क्या जान की कीमत अब समझ रहें,

तो बचा लो इस धरोहर को सदा।

जो दे रही खूबसूरत धरा,

गुनहगार है हर शख्स यहाँ।

प्रकृति ले रही हिसाब यह,

अब तो समझ लो।

क्यूँ है ये बेबस धरा।।

दीक्षा सिंह

Hindi Poem on Importance of Life-Jeevan Ke Pal


जीवन के पल

अनमोल है जिंदगी का हर पल,

वक़्त बह रहा सूरज ढल रहा है नभ पर,

बहते रहे सबको साथ लेके ख़ुशी से,

जैसे नदिया का पानी बहता है निर्मल,

अनमोल है जिंदगी का हर पल l

क़ोई पराया न हो सबको अपना मानते चलो,

वक़्त की हथेली से खुशियाँ बाँटते चलो,

जैसे सूरज रोशनी देता है हर घर,

अनमोल है जिंदगी का हर पल l

सुख हो या दुख कभी नहीं ठहरे,

ये आते जाते है जैसे सागर की लहरे,

हमें पीछे हटना नहीं है लहरों से डरकर,

अनमोल है जिंदगी का हर पल l

हमें मिलकर एक बाग़ लगाना है,

बाग में खुशियों का फूल खिलाना है,

जिससे फूलो की खुशबू बहे हवाओ मे घुलकर,

अनमोल है जिंदगी का हर पल ll

श्रीकांत शर्मा

कविता का भावार्थ: जीवन थोड़ा है खुश रहे और ख़ुशी बांटे