Hindi Poem on Modernization
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Hindi Poem Encouraging Change-Badalte Zamaane Ke Sath
बदलते ज़माने के साथ
बदलते ज़माने के साथ हम भी बदलते गए
जीवन में वक्त के साथ बदलते रंगो को जीवन में भरते गए।
ज़माने में हर तरह के लोग मिले
बस सब के साथ कदम मिलाकर आगे बढते गए
हमारी तो क्या औकात है
रास्ता तो ईश्वर ने दिखाया
बस हम तो उस पर चलते गए।
बदलते ज़माने के साथ हम भी बदलते गए,
बदलते ज़माने के साथ हम भी बदलते गए।।
बचपन की यादों को साथ लिए
हमने जवानी में कदम रखा है।
बचपन तो बीत गया खेल कूद में
अब तो वक्त ने भी अपना रुख बदल रखा है,
जीवन के हर मोड़ से बचपन हो या जवानी
हम तो बस सीखते चले गए
बदलते ज़माने के साथ हम भी बदलते गए,
बदलते ज़माने के साथ हम भी बदलते गए।।
-रोहित
Hindi Poem on Modernization-आधुनिकीकरण पर कविता
आधुनिकीकरण
आधूनिकरण ने देखो क्या किया कमाल है
बात-बात पर अब उठता सवाल है
शुद्धिकरण का अब वो ज़माना नहीं रहा
हर तरफ मिश्रण का अब बोलबाला है
नीम की दाँतून के ज़माने गुज़र गये
अब तो कॉलगेट में भी मचा बवाल है
लाईन में लगने का झंझट ही नहीं रहा
सब कुछ पास होते हुए भी बुरा हाल है
कोसों दूर की खबरें पल भर में पहुँचे
तकनीक ने ऐसा बिछाया जाल है
ज़मीन-आसमान अब एक हो गये
हवाई-जहाज़ इन दोनों की बनी जो ढाल है
गौर से देखो सच्चाई का आइना
बढती उम्र पर भी मेक-अप की चाल है
कम्प्युटरीकरण का दौर तो देखो
हर रोज़ बाजार में होता धमाल है
वाह !वाह रे आधुनिकीकरण तु तो बेमिसाल है।
-गरीना बिश्नोई