Category Archives: Hindi Poems on Issues and Concerns

Hindi Poem on Dowry Evil – Dahej Pratha -दहेज प्रथा पर कविता


भारत में दहेज़ की प्रणाली लड़कियों के परिवार के लिए एक कोप है। हर वर्ष हज़ारों महिलाएं दहेज़ सम्बंधित शोषण का शिकार होती हैं। यह कविता इस प्रथा के मर्म की अभिव्यक्ति है।

दहेज – प्रथा (कविता का शीर्षक)

लानत है इस दहेज की हिंदू समाज पर,
ज़रा गौर करो तुम इस रीति रिवाज पर !
मैं तुमको सुनाता हूं एक सच्ची कहानी,
लखनऊ में थी एक बस्ती पुरानी !!
लड़के और लड़की का पिता मज़दूर था,
बच्चों को छोड़ चल बसा वह मजबूर था !
अब बहन रहती थी भाई के पास,
हर दम उसका चेहरा रहता था उदास !!
भाई ने सोचा बहन का रिश्ता में जोड़ दूं,
बिना दहेज के एक नया मोड़ लूँ !
अब भाई ने कर दी बहन की सगाई
और कहने लगा की तू हुई पराई !!
घर की गरीबी तुझसे छिपाई नहीं जाती
और यहाँ रोटी के साथ सब्जी बनाई नहीं जाती !
देने को तो मेरे पास कुछ भी नहीं,
सोने की अंगूठी और पाजेब भी नहीं !!
खैर जो कुछ भी है मेरे पास सो मैं लुटा दूंगा,
अरमानों से तेरा दहेज मैं सजा दूंगा !!!
वो दिन आ गया, वो रात आ गई,
जब दुल्हन के घर बारात आ गई !
दूल्हे के बाप ने जब मांगा दहेज,
बहन और भाई पर तो मौत छा गई !!
दुल्हन ने बाप को बहुत समझाया,
मरने पर साथ ना जायगी तेरी ये माया !
आखिरकार बाप ने स्वीकार किया और कहा अंधेर हो गया,
भाई तो वहीं पर मरकर ढेर हो गया !!
दुल्हन ने गाड़ी के नीचे सिर झुका दिया
और दुनिया में पैसे वालों को नीचा दिखा दिया !
बस मेरा तुम सबको यही पैगाम है,
कि दुनिया में गरीबों का जीना हराम है
दुनिया में गरीबों का जीना हराम है !! धन्यवाद !!
-आशीष गर्ग (कवि)

कविता का भावार्थ:

कवि भारत में प्रचलित दहेज की प्रथा के कुकर्म के बारे में समाज को जागरुक करना चाहता है।

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Hindi Poem on Daughter Foeticide-भ्रूण हत्या पर कविता


बेटियां बेटियां बेटियां

औरौ के तरह ही रो-रो कर जन्म लेती है बेटियां।

बेटों के तरह ही करती है शैतानियां।

लगे जब भूख तो बेटों के तरह ही रोया करती है बेटियां।

जब फक॔ नही कुछ भी दोनो मे,

फिर जन्म से पहले ही क्यौ मार दी जाती है बेटियां।।

सुबह की पहली किरण होती है बेटियां।

ईश्वर का आशी॔वाद होती है बेटियां।

माँ के कामों में मददगार और पिता का अभिमान होती है बेटियां।

कहने को तो जहाँ मे सबसे दुलारी होती है बेटियां,

फिर जन्म से पहले ही क्यौ मार दी जाती है बेटियां।

बेटियां बेटियां बेटियां!

विवेक कश्यप!

Betiya Betiya Betiya!

Auroo k tarah hi ro- ro kr janm leti h betiya!
Beto k tarah hi krti h saitaniyaa!
Lage jb bhookh to beto k tarah hi roya krti h betiya!
Jab fark nhi kuch v dono mein,
Fir janm se phle hi q maar di jaati h betiya!

Subah ki phli kiran hoti h betiya!
Ishwar ka ashirwad hoti h betiya!
Maa k kaamo mein madadgar aur pita ka avimaan hoti h betiya!
Kehne ko to jaha m sbse dulari hoti h betiya,
Fir janm se phle hi q maar di jti h betiya!
Betiya Betiya Betiya!
-Vivek Kashyap

Hindi Poem on Crime Against Women-Mujh Mein Bhi Ek Jaan Hai


क्योंकि मुझमें भी एक जान है (कविता का शीर्षक)

मैं भी श्वास लेती हूँ,

हर सुख दुःख को सहती हूँ,

मेरा भी मन कोमल है,

ममता का एक आंचल है,

फिर क्यों मेरा शोषण होता,

अधिकार छिनता, मान खोता,

मेरा भी स्वाभिमान है,

क्योंकि मुझमें भी एक जान है |

किसी की माँ, किसी की पत्नी,

किसी की बहन, बेटी हूँ मैं,

हरियाली किसी आंगन की,

घर की एक ज्योति हूँ मैं,

है मुझमें भी संवेदनाएं,

भावनाएँ है, संज्ञान है,

क्योंकि मुझमें भी एक जान है |

-प्राची साहू (कवयित्री का नाम)

Kyuki mujhme bhi ek jaan hai (Title of Poem)

Mein bhi shwaas leti hu,

Har sukh dukh ko sehti hu,

Mera bhi man komal hai,

Mamta ka ek aanchal hai,

Fir kyu mera shoshan hota,

Adhikar chhinta, man khota,

Mera bhi swabhimaan hai,

Kyuki mujhme bhi ek jaan hai.

Kisi ki maa, kisi ki patni,

Kisi ki behan, beti hu main,

Hariyali kisi aangan ki,

Ghar ki ek jyoti hu main,

Hai mujhme bhi samvednaye, ‘

Bhavnaae hai, sangyaan hai,

Kyuki mujhme bhi ek jaan hai.

-Prachi Sahu (Poetess)

Meaning of the Poem:

Prachi has expressed the pain faced by women in India because of their gender. In her poetry she questions the discrimination of women in the Indian society in the voice of a girl. The title of the poem – “Kyuki mujh mein bhi ek jaan hai” – “Because I also have a life within me” forces the readers to think about issues such as female genocide and other crimes against women.

English Translation

Because I too have a life within me (Title of Poem)

I also breathe,

Tolerate all happiness and grief,

My heart is also tender,

I have a blanket of motherhood,

Then why I am I abused,

I am devoid of my rights, my peace of mind is disturbed,

I also have a self-respect,

Because I too have a life within me.

I am somebody’s mother, somebody’s wife,

I am somebody’s sister and somebody’s daughter,

I am the prosperity of somebody’s house,

I am a part of the house,

I also have empathy, ‘

I also have emotions and cognizance,

Because I too have a life within me.

-Prachi Sahu (Poetess)

Hindi Poem on Coronavirus Lockdown-Corona Ko Hi Pel Diya


हमने तो कोरोना ही पेल दिया
माना थोड़ी संकट की घड़ी आयी है ,
कहीं चिंता तो कहीं तन्हाई है
पर हमने तो खेल ऐसा खेल दिया
हमने तो कोरोना को ही पेल दिया |

करते नहीं कुछ काम है
चल रहा अपना आराम है
हाथ धोकर हमने और दूर धकेल दिया
हमने कोरोना को पेल दिया |

हाँ, खाने पे ज़ोर थोड़ा ज्यादा है ,
पर वो काम तो माँ के खाते में आता है
पर बहाने तो माँ के भी तैयार हैं
कहती है घर में तेल का हाहाकार है
और फिर
फिर क्या
माँ को चुपचाप लाके तेल दिया,
और फिर से हमने तो कोरोना को ही पेल दिया ||
-मोहित सिंह चाहर ‘हित’

Hindi Poem on Unity in Times of Coronavirus-Chalo Deepak Jalayein


चलो दीपक जलाएं

कोरोना एक ज़हरीला वायरस है
कृपा इसे हिन्दू मुस्लिम ना कराएं
कोरोना के नाम इंसान को
इंसान से ना लड़ायें

जितना हो सके देश को बचाने में
अपना सहयोग आगे बढ़ाएं
चलो हम सब मिलके
कोरोना को हराएँ

राष्ट्र एकता के नाम चलो हम सब
एक-एक दीपक जलाएं
हर किसी को राष्ट्र एकता का
अहसास कराएं

चलो मिलके हिंदुस्तान को जिताएं
और
कोरोना को हरायें
चलो मिलके राष्ट्र एकता के नाम
दीपक जलाएं
राष्ट्र एकता के नाम दीपक जलाएं
-मंजीत छेत्री