
हमने तो कोरोना ही पेल दिया
माना थोड़ी संकट की घड़ी आयी है ,
कहीं चिंता तो कहीं तन्हाई है
पर हमने तो खेल ऐसा खेल दिया
हमने तो कोरोना को ही पेल दिया |
करते नहीं कुछ काम है
चल रहा अपना आराम है
हाथ धोकर हमने और दूर धकेल दिया
हमने कोरोना को पेल दिया |
हाँ, खाने पे ज़ोर थोड़ा ज्यादा है ,
पर वो काम तो माँ के खाते में आता है
पर बहाने तो माँ के भी तैयार हैं
कहती है घर में तेल का हाहाकार है
और फिर
फिर क्या
माँ को चुपचाप लाके तेल दिया,
और फिर से हमने तो कोरोना को ही पेल दिया ||
-मोहित सिंह चाहर ‘हित’
बहोत आच्छा बताया है मैम आपका धन्यवाद करता हूँ 🙏🙏
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बहुत ही अच्छी रचना है, 👍🙂
कोरोना व लॉक-डाउन पर मैंने भी कुछ लिखने की कोशिश की है,
आशा है आपको पढ़ कर निराशा नहीं होगी।कृपया एक बार अवश्य पढ़ें।
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Zarur
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अच्छी रचना । आप मेरी साइट भी विज़िट कर लाइक और कमेंट करें । और बताएं मेरा प्रयास कैसा है
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🤕🤕
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Wowo great.. Corona ko hi pel diya..Maja agaya
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Nice word
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अच्छी प्रस्तुती
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अच्छी कविता है
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