रात का जब है घनघोर साया
तब आकाश में चाँद जगमगाया
टिमटिमाते तारों के आँगन में
गोल चकोर मन को भाया
चाँद की शीतल चांदनी ने
दबी आकाँक्षाओं को जगाया
चाँद कहता है सबसे रोज़
इंसान तू हार से क्यों घबराया
देख मुझे मेरे दाग देख
मुझपर बहुतों ने आरोप लगाया
मैं निडर सफ़ेद चादर ओढ़
आज फिर दोबारा यहीं आया
-अनुष्का सूरी
Monthly Archives: February 2016
Hindi Poem for Indian Music -संगीत के सात स्वर
आओ मिलकर सीखें आज
संगीत के सात स्वर सरताज
पहला स्वर है सा
इस से शुरू होता है साज़
दूसरा स्वर है रे
इस से बढ़ते हैं आगे आज
तीसरा स्वर है ग
इस से होता है गाना आगाज़
चौथा स्वर है म
इस से बढ़ता है आगे साज़
पांचवा स्वर है प
इस से आगे ऊंचा रियाज़
छठा स्वर है ध
इसे गायें बेहतर आज
सातवा स्वर है नि
इस पर खत्म हुआ स्वरों का राज़
-अनुष्का सूरी