Hindi Poem for Brother- मेरा भाई है सबसे अच्छा


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मेरा भाई है सबसे अच्छा
मेरा भाई है सबसे प्यारा
उसके ऊपर मैंने
अपना सब कुछ वारा
उसकी कलाई पर
सजेगी मेरी राखी
साथ में होगा
तिलक और बाती
खिलाऊँगी मैं उसको
अपने हाथों से बनायीं खीर
वही है मेरा अनमोल रतन
वही है मेरा वीर
हर राखी हर त्यौहार
संग मनाना मेरे भईया
-अनुष्का

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Hindi Poem for Son from Mother-होता जो बस में


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होता जो बस में
ऐ मेरे लाल
कर देती ये दुनिया
सारी तेरे नाम
तोड़ लाती चाँद तारे
भी तेरे लिए
मगर हैं सीमाएं बहुत
क्या मैं करूँ
नहीं कुछ पास मेरे
दुआओं के सिवा
न होगी कमी
उनमें कभी
भर दूंगी उनसे
झोलियाँ तेरी
दुनिया की हर ख़ुशी
तुझको मिले
जी भर के हँसे तू
नम मेरी आँख हो
हर माँ के
दिल का आशीष है
रहो मुस्कुराते
खिलखिलाते रहो
टपकें न आंसू
न दुःख कभी
आस पास हो
सुख दुःख तो हैं
सायों की तरह
कभी रात अँधेरी
कभी सुप्रभात है
खोना न धीरज
याद रखना सदा
सुनता है वो
जिसने खेल सारा रचाया
दिल माँ का भी
उसी ने बनाया
है तुम्हारी ख़ुशी में
ख़ुशी मेरे दिल की
सदा याद रखना
बात मेरे दिल की
-किरण गुलाटी

Hindi Poem on Life -Zindagi Tere Chehre Hazaar


 

still-life-851328_960_720.jpgए ज़िन्दगी तेरे चेहरे हज़ार
हंसाएं कभी तो कभी रुलाये ज़ार ज़ार
समझना तुझे आसान नहीं,
कहीं होती है रुक्सत,
तो कहीं लाती है बहार
दिखाती है कभी वीरानियों के आसार,
तूफानों से भी कभी करती है पार
दे देती है कभी अश्क़ बेशुमार,
लूटती है कभी प्यार ही प्यार
कभी रह जाती हैं हसरते कई,
कहाँ आता है फिर ज़िन्दगी में खुमार.
चलाते रहते हैं कश्ती,
की उतरेंगे पार
ले जाती है कहीं और
हमें उमंगों की धार.
हो जाता है खड़ा कभी बेडा मंझधार,
और खोलने को नहीं मिलता पटवार.
ए ज़िन्दगी तेरे चेहरे हज़ार
बीते पलों पर न था इख़्तियार,
आने वाले पलों का रहता इंतज़ार .
बीत जाता है जीवन, हो जैसी बहार,
नहीं आता है कभी जीवन में करार.
रहे कभी तमन्नाओं से दिल गुलज़ार,
वह खिलाये फूल फिर बेशुमार.
यह चाहतों राहतों का है बाजार,
फिर भी चैन नहीं होता शुमार.
बहारों का हर पल रहता है इंतज़ार,
पलों ही पलों में खो जाता है संसार
ए ज़िन्दगी तेरे चेहरे
कभी हंसाएं तो कभी रुलाये ज़ार ज़ार

-किरण गुलाटी

Hindi Poem on Independence Day: स्वप्निल हिंदुस्तान


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स्वप्निल हिंदुस्तान

ऐसा देश हमारा हो,

गर्व से मस्तक उन्मुख हो,

ऐसा स्वाभिमान हमारा हो ,

ऐसा देश हमारा हो |

 

क्या राजा क्या प्रजा ,

किसी का एकाधिकार ना हो ,

वस्त्र ,विहार,आहार , सर्वसुलभ हो ,

ऐसा देश हमारा हो |

जैसा इतिहास था ,

उससे उज्जवल भविष्य हो ,

समाहित हो जाये पश्चिम ,

जो प्रबल है पूरब की ओऱ ,

इतनी विशाल संस्कृति हमारी हो ,

ऐसा देश हमारा हो |

 

तम को चीरता ,

सूरज की पहली किरण से,

हर रोज एक हँसता हुआ ,

सबेरा हो ,

ऐसा देश हमारा हो |

अज्ञान का अंधकार कभी ना होने पाये ,

हर घर में ज्ञान का ,

एक दिया आलोकित हो ,

ऐसा देश हमारा हो |

 

 

भर दो यहाँ के दिलो में ,

इतना प्यार ,

वसुधैव कुम्ब्कम्ब ,

हमारी पहचान हो ,

ऐसा देश हमारा हो ,

ऐसा स्वप्निल हिंदुस्तान हमारा हो

-प्रियांशु शेखर