Hindi Poems on Marriage
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Hindi Poem on Girl’s Life after Marriage-मायका

आंगन वही है
बचपन कहीं खो गया
घर वही है
बस मायका खो गया
बगियाँ वही है
वो मेरा सुमन खो गया
अपने वही है
अपनापन कहीं खो गया
आना वही जाना वही
बस वो इंतज़ार खो गया
जो मेरा,सिर्फ मेरा था
वो किसी और का हो गया
बचपन की गलियों में
सबकुछ मेहमाँ सा हो गया
रूठना, हक़ जताना
अब ये सब अतीत हो गया
बट गया हिस्सों में
प्यार वीर का खो गया
माँ की रसोई में
माँ का हक़ खो गया
झूलती तख्ती नाम की
मालिक का रोब खो गया
परिवर्तन की आंधी में
वास्तविक कही खो गया
मिलता ब्याज पे ब्याज
वो मूलधन कही खो गया
कोपल हुआ करते थे
पीले पत्तो सा अस्तित्त्व हो गया
-किरण पांचाल
Shaadi – Hindi Poem on Marriage
सोच सोच के किसी ने सोचाकि शादी का क्या मतलब होगा?बहुत सोचा पर कुछ ना सुझाफिर कागज़ पे ये शब्द लिखाऔर उसको किया जब उल्टा फ़ूलटातो अंत में ये नतीजा निकलाकि मत कहो इसे बर्बादीक्योंकि इसी से तो है ये आबादीजैसे दिशाहीन नाव को राह दिखाता एक मांझीवैसे ही जीवन रुपी इस नाव को जो कीनारे पे है लातीअसल में यही तो है शादी-अर्पन शाह