
कहानी
चलो आज एक कहानी और लिखी जाये
जिस पर दो-तीन बातें खुल कर बोली जायें
चाहे किसी को पसंद आये चाहे न आये
मेरा तो काम है कि हम बस यूं ही लिखते जायें
कई लोग हमें हर बार बस सौ-सौ ताने सुनायें
मगर ये कलम भी किसी से कुछ कम नहीं
ये हमारा हर परिस्थिति में खूब साथ निभाए
ये कलम कहीं अकेली न रह जाये इसलिए,
दिल और दिमाग ने भी खूब पेंच लड़ाए
ये सोच भी कहीं हमारी पीछे न रह जाये
इसलिए हम अब इसे बाहर की और ले आये
छोटे- छोटे से शब्द में हम यूं डूबते जायें
अब इस कहानी के समंदर में लहरें भी मौज उड़ाएँ
कहानियों में हम इस तरह घूमते जायें
ये वक्त कब गुज़रे पता भी न चल पाये
कब दिन चढ़ जाये और रात ढल जाये
मेरे दिल को बस ये यूं ही भाते जाए
इन कागज़ों पर अनोखा संसार नज़र आये
कलम की नाव में सवार होकर मन हिचकोले खाये
और ये सोच भी मांझी का किरदार निभाए
ज़िन्दगी के नए-पुराने किस्से उभरते हुए आये
जो हमें हमारे ही किरदार की कहानी दिखाएं
इन पलों को हम एक बार फिर से जीते जायें
मेरा मन बस यही एक बोल कहता जाये
चलो एक कहानी और फिर से लिखी जाये
-अंजलि सुवासिया (रचनाकार )