
जीवन के पल
अनमोल है जिंदगी का हर पल,
वक़्त बह रहा सूरज ढल रहा है नभ पर,
बहते रहे सबको साथ लेके ख़ुशी से,
जैसे नदिया का पानी बहता है निर्मल,
अनमोल है जिंदगी का हर पल l
क़ोई पराया न हो सबको अपना मानते चलो,
वक़्त की हथेली से खुशियाँ बाँटते चलो,
जैसे सूरज रोशनी देता है हर घर,
अनमोल है जिंदगी का हर पल l
सुख हो या दुख कभी नहीं ठहरे,
ये आते जाते है जैसे सागर की लहरे,
हमें पीछे हटना नहीं है लहरों से डरकर,
अनमोल है जिंदगी का हर पल l
हमें मिलकर एक बाग़ लगाना है,
बाग में खुशियों का फूल खिलाना है,
जिससे फूलो की खुशबू बहे हवाओ मे घुलकर,
अनमोल है जिंदगी का हर पल ll
श्रीकांत शर्मा
कविता का भावार्थ: जीवन थोड़ा है खुश रहे और ख़ुशी बांटे