Hindi Poem on Self-Betterment – Andar Baitha Ravan


अंदर बैठा रावण

जो सालों पहले ही मर गया, उसको हर बार जलाते हो,
मिनटों की शौखों की खातिर पैसा तुम व्यर्थ बहाते हो।
बुराई की पराजय का तुम क्यों ये ढोंग रचाते हो,
जो अंदर बैठा है छिप के, उसको क्यों भूल जाते हो।।

पूछो खुद से!! क्या खुशियाँ मनाने का यह एकमात्र तरीका है?
पूछो खुद से!! वायु मलिन कर खुशियाँ मनाना, क्या यह सुगम सलीका है?
पूछो खुद से!!

न किसि का बुरा करो और न ही कुछ गलत सहन करो,
जो करना है तो अंदर बैठे रावण का तुम दहन करो।।
बुराई पे अच्छाई की जीत के नाम पे, रावण दहन हर बार करोगे,
सच में अच्छाई तब जीतेगी, जब तुम जन जन से प्यार करोगे।।
छल जलन, निंदा कपट को मारो प्यारे,
मझधार में अटकी नईया, लग जाएगी आप किनारे।।

शान्तनु मिश्रा

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.