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Motivational Hindi Poem-Andhere Ka Prakash


अँधेरे का प्रकाश
अँधेरे के बाद वो कहते हैं कि सवेरा है
फिर भी विघ्नों ने घेरा है
सूरज की किरणों का इंतज़ार करूँ
या अंधेरों की कालिक में अपनी रौशनी को खुद ढूँढू

अंधेरों में मंज़िल कुछ दिखाई नहीं देता
राह फिर भी चलती दिखती है
मैं सूरज की किरणों के सहारे का इंतज़ार करूँ
या राहों का बन हमसफ़र मैं अपनी रौशनी कुछ बनूँ?

सैंकड़ों मिश्रित विचारों के जमघट हैं
लम्हों के बीतने की आहट सुनाई देती है
मैं लन्हों के गुज़रने का इंतज़ार करूँ
या “वक़्त” के उजाले से पहले मैं अपना रोशन दीपक ख़ुद बनूँ?
-सिद्धार्थ सिजोरिया

Andhere Ka Prakash (Title of Poem)

Andhere ke baad vo kehte hain ki savera hai (It is usually said that every dark night has a morning)
Fir bhi vighano ne ghera hai (Still, I am surrounded by difficulties)
Sooraj ki kirano ka intezaar karu, (Shall I wait for the rays of the sun)
Ya andhero ki kaalik mein main apni roshni khud dhoondhoo (Or shall I search for my light in this blackness of dark night)

Andhero mein manzil kuch dikhaai nahi deti, (I cannot see my destination in this darkness)
Raah fir bhi chalti dikhti hai, (I can still see the path though)
Main suraj ki kirano k sahaare ka intezaar karu, (Shall I wait for the support of the sunlight)
Ya raaho ka ban hamsafar, main apni roshni khud banu? (Or shall I keep moving on the path and become my own inspirational light)

Senkado mishrit vichaaro ke jamghat hain, (My mind has millions of mixed thoughts)
Lamho ke beetne ki ahat sunaai deti hai (I can hear the sound of ending time)
Main lamho k guzarne ka intezaar karu, (Shall I wait for this time to end)
Ya “waqt”k ujaale se pahle main apna roshan deepak khud banu (Or shall I become my own guiding lamp before the dark night to end)

-Siddharth Sijoria (Poet)

English Translation (by Poet)

Between the dusk and dawn

Light would follow this night,
but waves of confusions rise and fall in my mind,
Should I wait believing the Sun would guide,
Or fight this dark with the strength of my own light?

The dark obscure the sight of my destination,
But still, I see the path leading to it,
Should I wait for the dawn of light,
Or start walking upon this path I see?

Countless thoughts occupy my mind,
I can hear the sound of the escaping time,
Should I let these moments pass,
Or be my own guiding lamp in the blinding dark?

Hindi Poem on Life Struggle-Safar


सफ़र

सफ़र पर निकल पड़ो मन में संकल्प लेकर
चाहे अमावस की रात हो या पूनम का चांद
चाहे आये तुफान या तनी हों बन्दूकें
ना डरना है ना गिरना है ना भागना है
डरना क्यों आत्मविश्वास जब बलवान है
मुस्कुराके आगे बढ़ते रहो हिम्मत न हारो
असफलता एक चूनौती है, स्वीकार करो
नीद चैन को संघर्ष पथ पर, बलिहार करो
लगे रहो जब तक न सफलता साथ हो
हमेशा हर समय बस लक्ष्य की ही बात हो

-दीपान्जली
दीपा रामदास शिंपी नवसारी गुजरात
3/12/2019


Motivational Hindi Poem-Har Dashanan Ko Hara De


हर दशानन को हरा दे..
जो चुनौती दी है तुझको,
वक़्त ने रावण बनाकर
हर दशानन को हरा दे,
कर्म को लक्ष्मण बनाकर

है सफर मुश्किल तो क्या है
मंजिलों पर रख नजर तू
कुछ कदम पर है सफलता
अपने दिल को दे खबर तू
मील के पत्थर को छूले,
एक विजेता मन बनाकर

जो तरसती आस है
सपने चलो उसमें सजा दें
मर रहा विश्वास उसमें
हौसलों की फिर हवा दें
इस धरा पर चांद लायें,
स्वप्न कुछ पावन बनाकर

रास्तों पर है अंधेरा
चुभ रहे पैरों में काँटे
बुझ गयी अंतिम किरण भी
फिर भी सांसो को समेटे
रात की कालिख मिटा दे,
सुबह को रौशन बनाकर

वो निगाह तुझ पर टिकी है
जिनके चेहरों पर उदासी
सूखते दरिया मे जैसे
रो रही हो मीन प्यासी
दर्द को महसूस कर ले,
आंख को सावन बनाकर

मुहँ मे अटकी है जुबां
क्यों शब्द भारी क्यों बने हैं
बोलना अब है ज़रूरी
प्रश्नचिन्ह कितने घने हैं
सीख अपनी बात कहना,
सच को उच्चारण बनाकर

एक सपना, एक इरादा
साथ में सम्मान रख चल
राह मे आंखें बिछाये
देखते शिलालेख,
लिख चल एक कहानी इनके ऊपर,
खुद को उदाहरण बनाकर

आग तुझमें जल रही है
क्यों डराता है अंधेरा
स्वर्ग तेरी मुट्ठीयों में
पास ही तो है सवेरा
दिशा अनोखी जिंदगी को
दे कोई कारण बनाकर

आसमा पर रख निगाह
फिर संग होंगे चांद तारे
घोल कर सोने में खुशबु
अपनी दुनिया को सँवारे
क्या मिला है यहां
किसी को लक्ष्य साधारण बनाकर
-राम वर्मा

Never Quit Poem in Hindi-Kayi Baar Shuruwat Ki Hai


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कई बार शुरुवात की है

कई बार शुरुवात की है,
कई बार नाकाम हुआ हूँ
नहीं है आसान, कोशिश कर लो
यूं ही नहीं बदनाम हुआ हूँ

आसानी से कहते हैं सब
ऐसी क्या बड़ी बात है वहां
सबसे अनुरोध करूंगा मैं
आकर देखो मेरे साथ यहाँ

आकर देखो कैसे मैं
हर रोज़ ही खुद से लड़ता हूँ
एक जीत की आस में खुद से मैं
हर रोज़ ही हारता रहता हूँ

करता हूँ कोशिश छोड़ सकूं
आलस्य और अवरोधों को
पढ़ता हूँ इसी उम्मीद में
माँ के दिए उन श्लोकों को

करता हूँ कोशिश कहीं मुझे
मिल जाए कोई राह नई
अपने इस विचलित मन को मैं
कर सकूँ नियंत्रित काश कभी

सुनता हूँ लोगों को मैं
जो चले कभी थे राह यही
थे जीते वे इस शत्रु से
और पाया था परिणाम सही

हर रात को सोने से पहले
कहता हूँ कल बेहतर होगा
करता हूँ आशा रोज़ यही
शायद नया कोई अवसर होगा

सुना है समय लगता है,
मन को नियंत्रित करने में
बनना मनुष्य आसान नहीं
आसान है ये सब कहने में

शायद समझा हूँ कुछ हद तक
क्या अर्जुन को समझाया था
शत्रु प्रबल तो वहां भी था
पर अर्जुन पर श्री कृष्ण का साया था

पर छोड़ के आशा का दामन
होने वाला कुछ काम नहीं
चलो चलता हूँ फिर लड़ता हूँ
शायद अभी आराम नहीं

करता हूँ एक शुरुवात नई
एक और मैं कोशिश करता हूँ
हो शायद सच जो सुना था मैंने
कोशिश करने वालों की हार नहीं

-मुसाफिर