सफ़र पर निकल पड़ो मन में संकल्प लेकर चाहे अमावस की रात हो या पूनम का चांद चाहे आये तुफान या तनी हों बन्दूकें ना डरना है ना गिरना है ना भागना है डरना क्यों आत्मविश्वास जब बलवान है मुस्कुराके आगे बढ़ते रहो हिम्मत न हारो असफलता एक चूनौती है, स्वीकार करो नीद चैन को संघर्ष पथ पर, बलिहार करो लगे रहो जब तक न सफलता साथ हो हमेशा हर समय बस लक्ष्य की ही बात हो
-दीपान्जली दीपा रामदास शिंपी नवसारी गुजरात 3/12/2019