Hindi Poem on Sleep-Neend

नींद तो जन्नत है ।
हर रात की मन्नत है ।

सुकून जिसमें है बहुत,
ये नींद की फितरत है।

क्या दर्द क्या चिंता है ।
ख्याबो में तो शोहरत है।

उनींदी आँखों से पूछो ,
नींद तो ज़रूरत है ।

जीवन से जब हो पलायन ,
हर वासना से उन्मत है ।

सक्रिय मुहूर्त के बाद ,
नींद तो जमैयत है।

-रीत (रितिका ) दाँगी

5 thoughts on “Hindi Poem on Sleep-Neend”

  1. नींद की ख़ूबशूरती, क्या बयान किया आपने,
    हर दर्द को दूर करने की, दबा को कहते हैं नींद.

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