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Hindi Poem by Daughter to her Father on her Marriage-Beti Ka Dard

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बेटी का दर्द
पापा मुझे यूँ ओझल न कर अपनी नज़रों से…
पापा मुझे यूँ ओझल न कर अपनी नज़रों से…
माना दुनिया की रीत है ..
माना दुनिया की रीत है..
फिर भी
पापा मुझे यूँ ओझल न कर अपनी नज़रों से…
पापा मेरे तुम कहते थे मैं तुम्हारी बेटी नहीं बेटा हूं
तो क्या कोई बेटे को विदा करता है ..
पापा मुझे यूँ ओझल न कर अपनी नज़रों से..
पापा मुझे यूँ ओझल न कर अपनी नज़रों से..
-मयूरी श्रीवास्तव