
नींद भी इतनी खफा है हमसे अब आयी तो सुबह न होगी,
कहती है जिंदगी को ज़हर देदो
दवाओं में असर रहा नही,
खुद को अंधेरे में कैद कर लो
अब कोई सवेरा नया नही ,
थक गया हूँ , थकान ऐसी की थकने की वजह मालूम नही,
आंखे कहती है नींद लेलो,
मगर नींद कुछ खफा है हमसे, खफा इतनी की अब आयी तो सुबह न होगी ।
-आयुष बैद