Tag Archives: Wear specs poem

Hindi Poem on Spectacles-चश्मा पर कविता

spectacles-chashma

नाक कान पर मैं टिकता हूँ
कांच प्लास्टिक में बिकता हूँ
जैसे ही हुई किसी की नज़र कमज़ोर
आजाता हूँ तुरंत सेवा में उसकी हुज़ूर
प्लस माइनस पावर मेरे लेंस हैं
आंकड़े ये नज़र की जांच से हैं
मुझे पेहनने में न करो शर्म भाई
मैं नुकसान से रक्षा करूँ सदा ही
पढ़ने लिखने देखने में हूँ मददगार
शर्त ये है की पहनो मुझे लगातार
फिर भी अगर मुझे पसंदीदा न पाओ
तो मेरे बदले तुम कांटेक्ट लेंस लगाओ
-अनुष्का सूरी

चश्मे के बेहतरीन फ्रेम खरीदें (अमेज़न से):