Hindi Poem on Girl’s Life after Marriage-मायका

portrait_of_a_beautiful_woman_painting-wallpaper-1366x768
आंगन वही है
बचपन कहीं खो गया
घर वही है
बस मायका खो गया
बगियाँ वही है
वो मेरा सुमन खो गया
अपने वही है
अपनापन कहीं खो गया
आना वही जाना वही
बस वो इंतज़ार खो गया
जो मेरा,सिर्फ मेरा था
वो किसी और का हो गया
बचपन की गलियों में
सबकुछ मेहमाँ सा हो गया
रूठना, हक़ जताना
अब ये सब अतीत हो गया
बट गया हिस्सों में
प्यार वीर का खो गया
माँ की रसोई में
माँ का हक़ खो गया
झूलती तख्ती नाम की
मालिक का रोब खो गया
परिवर्तन की आंधी में
वास्तविक कही खो गया
मिलता ब्याज पे ब्याज
वो मूलधन कही खो गया
कोपल हुआ करते थे
पीले पत्तो सा अस्तित्त्व हो गया
-किरण पांचाल

2 thoughts on “Hindi Poem on Girl’s Life after Marriage-मायका”

Leave a Reply