
मेरी भी अपनी शैली है,
काव्यमय अद्भुत पहेली है,
अलंकारों से पूर्ण सुशोभित,
भाव रसों से बनी अलबेली है।
मेरी भी अपनी शैली है,
काव्यमय अद्भुत पहेली है।
आम समझ से परे है किंतु,
बात सरल सुरीली है,
आड़े- तिरछे समय में भी,
बात न टेढ़ी-मेढ़ी है,
मेरी भी अपनी शैली है,
काव्यमय अद्भुत पहेली है।
भाव सरस पर आम नहीं,
हथियारों का यहां कोई काम नहीं,
पंक्तियों की चोट अक्सर होती,
तलवारों से भी पैनी है,
मेरी भी अपनी शैली है,
काव्यमय अद्भुत पहेली है।
-मयंक गुप्ता
खूबसूरत रचना 👌
LikeLike