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Hindi Poem on Women Empowerment-Jeene Ki Adhikari Naari

woman

जीने की अधिकारी नारी

ये पुरूषत्व का मोहपाश,
कर नारी का अपमान,
रचता मानव अपना ही विनाश।
जीने की अधिकारी नारी जितना है पुरूष अधिकारी।
सज्जन मानव दुर्जन मानव समाज एक ही में रहते।
सज्जनता उन्नति की द्योतक,
दुर्जन पतन को लाते है।
आती है कयामत जब अपमानित होती नारी।
जीने की अधिकारी नारी,जितना है पुरूष अधिकारी।
नारी तुम हो अपनी सहाय,
दुर्गा काली बन उभरो जग में।
क्रूर दानव रूपी मनुष्य को,
खुद पे हावी मत होने दो।
जिसने तुझसे वजूद छीना,
उसे जीने का अधिकार नही।
काट ड़ालो उन क्रूर हाथों को,
जो उठे नारी तेरे अपमान में।
तुम ही हो मनु की श्रद्धा,
तुम शिव की गौरी।
महाशक्ति,जन्मदात्री तुम ब्रह्माणी,रूद्राणी।
उठो बहुत सहा अपमान
अपनी रक्षा को स्वयं प्रवृत होवो,
अपने सम्मान को लज्जित ना होने दो।
बन नई पीढ़ी की नई लहर उभरो।
सज्जन मानव का सम्मान करो,
दुर्जन को हावी ना होने दो।
अपना अधिकार ग्रहण करो,
जिसकी तुम अधिकारी हो।
जीने की अधिकारी नारी,
जितना है पुरूष अधिकारी।

-कविता यादव