
जीने की अधिकारी नारी
ये पुरूषत्व का मोहपाश,
कर नारी का अपमान,
रचता मानव अपना ही विनाश।
जीने की अधिकारी नारी जितना है पुरूष अधिकारी।
सज्जन मानव दुर्जन मानव समाज एक ही में रहते।
सज्जनता उन्नति की द्योतक,
दुर्जन पतन को लाते है।
आती है कयामत जब अपमानित होती नारी।
जीने की अधिकारी नारी,जितना है पुरूष अधिकारी।
नारी तुम हो अपनी सहाय,
दुर्गा काली बन उभरो जग में।
क्रूर दानव रूपी मनुष्य को,
खुद पे हावी मत होने दो।
जिसने तुझसे वजूद छीना,
उसे जीने का अधिकार नही।
काट ड़ालो उन क्रूर हाथों को,
जो उठे नारी तेरे अपमान में।
तुम ही हो मनु की श्रद्धा,
तुम शिव की गौरी।
महाशक्ति,जन्मदात्री तुम ब्रह्माणी,रूद्राणी।
उठो बहुत सहा अपमान
अपनी रक्षा को स्वयं प्रवृत होवो,
अपने सम्मान को लज्जित ना होने दो।
बन नई पीढ़ी की नई लहर उभरो।
सज्जन मानव का सम्मान करो,
दुर्जन को हावी ना होने दो।
अपना अधिकार ग्रहण करो,
जिसकी तुम अधिकारी हो।
जीने की अधिकारी नारी,
जितना है पुरूष अधिकारी।
-कविता यादव

तोड़ के पिंजरा
जाने कब उड़ जाऊँगी मैं
लाख बिछा दो बंदिशे
फिर भी आसमान मैं जगह बनाऊंगी मैं
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ
भले ही रूढ़िवादी जंजीरों सेबांधे है दुनिया ने पैर मेरे
फिर भी इसे तोड़ जाऊँगी
मैं किसी से कम नहीं सारी दुनिया को दिखाऊंगी
जो हालत से हारे ऐसी नहीं मैं लाचारी हूँ
हाँ गर्व है मुझे मैं नारी हूँ
-सोनी कुमारी
Tod ke pinjra
Jane kab ur jaungi mai,
Lakhh bichha do bandise
Phir bhi aasman mai jagah banaungi mai,
Ha garv hai mujhe mai nari hu.
Bhale Hi rudhiwadi janjiro se bandhe hai duniya ne pair mere,
Phir bhi ise tor jaungi
Mai kisi se kam nahi sari duniya ko dikhhaungi,
Jo halat se hare aisi nahi mai lachari hu,
Mai to solo pe bhi chalkar apni rah bana lu mai aisi nari hu.
Mera apna astitva hai nahi mai lachari hu
Ha garv hai mujhe mai nari hu.
-Soni Kumari
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