Hindi Poem on Roti – रोटी
हूँ सबकी चाहत
हूँ सबकी ज़रूरत
सबका पेट भरती हूँ
हाँ मैं रोटी हूँ
गोल गोल है मेरा आकर
सब्जी के साथ बनाऊँ पौष्टिक आहार
चाहे हो बच्चा, बूढ़ा या हो जवान
रोटी खाकर ही आती हा तन में जान
हूँ सबकी चाहत
हूँ सबकी ज़रूरत
सबका पेट भरती हूँ
हाँ मैं रोटी हूँ
गोल गोल है मेरा आकर
सब्जी के साथ बनाऊँ पौष्टिक आहार
चाहे हो बच्चा, बूढ़ा या हो जवान
रोटी खाकर ही आती हा तन में जान