स्वप्निल हिंदुस्तान
ऐसा देश हमारा हो,
गर्व से मस्तक उन्मुख हो,
ऐसा स्वाभिमान हमारा हो ,
ऐसा देश हमारा हो |
क्या राजा क्या प्रजा ,
किसी का एकाधिकार ना हो ,
वस्त्र ,विहार,आहार , सर्वसुलभ हो ,
ऐसा देश हमारा हो |
जैसा इतिहास था ,
उससे उज्जवल भविष्य हो ,
समाहित हो जाये पश्चिम ,
जो प्रबल है पूरब की ओऱ ,
इतनी विशाल संस्कृति हमारी हो ,
ऐसा देश हमारा हो |
तम को चीरता ,
सूरज की पहली किरण से,
हर रोज एक हँसता हुआ ,
सबेरा हो ,
ऐसा देश हमारा हो |
अज्ञान का अंधकार कभी ना होने पाये ,
हर घर में ज्ञान का ,
एक दिया आलोकित हो ,
ऐसा देश हमारा हो |
भर दो यहाँ के दिलो में ,
इतना प्यार ,
वसुधैव कुम्ब्कम्ब ,
हमारी पहचान हो ,
ऐसा देश हमारा हो ,
ऐसा स्वप्निल हिंदुस्तान हमारा हो
-प्रियांशु शेखर