बेटी है तो जहान है, बेटी एक वरदान है !
आज देश के हर कोने में, संकट सा मंडराया है !
प्रलय काल दे रहा निमंत्रण, खतरा सिर पर आया है !!
क्यों असुरक्षित हुई बेटियाँ, हिंदुस्तान की धरती पर ?
जिसने नहीं पालकी देखी, सो चढ़ जाती अर्थी पर !!
खून बह रहा कन्याओं का, देख रहे तुम खड़े हुए !
राखी का सम्मान कहाँ है, किस लज्जा में पड़े हुए ?
नहीं बचा सकते बहनों को, ऐ भैया धिक्कार तुम्हें !
इस धरती पर जीवित रहने का, नहीं है अधिकार तुम्हें !!
कहां सो रहे धर्मवान, तुम सत्ता के गलियारे में !
कैसे देश महान रहेगा, कर्म-धर्म अंधियारे में !!
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, तुमने दिया था नारा !
होगी सुरक्षा बेटी की, अब कहाँ अभिमान तुम्हारा !!
शर्म करो ऐ नेताओं, या कुर्सी कर दो खाली !
करो काम ऐसा मंत्री जी, देश में हो खुशहाली !!
कुछ को कोख में मार दिया, नहीं माता-पिता लज्जाते !
बिना पढ़ाऐ भार समझ कर, जल्दी ब्याह कराते !!
फिर भी क्यों दहेज के कारण, आग लगाई जाती !
या तो बेटियाँ स्वयं तंग हो, फांसी पर चढ़ जाती !!
आती नहीं शर्म नामर्दों, इनकी चिता सजाते हुए !
बाहर जाकर निज कर्मों का, फिर गुणगान सुनाते हुए !
डूब मरो ऐ दुनिया वालों, तुम्हें शर्म नहीं आती है ?
क्या सुकून मिलता तुमको, अर्थी बिटिया की जाती है !!
याद रहे जो बेटी को, इस तरह सताया जाएगा !
होगी कयामत दुनिया में, कोई जीव नहीं बच पाएगा !!
ऐ भैया ये विनय हमारी, बेटी की रक्षा करना !
बहन जान कर हर लड़की के, सारे कष्टों को हरना !!
जब बेटी हो जाए सुरक्षितबेटे, बेटे समान अधिकार हो !
निश्चय डूब रही नैया और, देश का बेड़ा पार हो !!
बनकर कृष्ण दु:शासन से, द्रौपदी की लाज बचाना है!
कहे पुष्पेंद्र सिंह यादव, अपना कर्तव्य निभाना है !!
नवयुग की चाह रखने वाले क्रांति कवि -पुष्पेंद्र सिंह यादव
बहुत सुंदर रचना
Dr. Meera Ramnivas
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