Hindi Poem on Value of Time: Ehmiyat Waqt Ki
अहमियत वक्त की
अहमियत वक्त की तब समझ आई
जब जीवन में ठोकर पर ठोकर खाई,
जब वक्त की कदर ही न की
तभी तो मुसीबतें भी जीवन में बिन बुलाए आई।
फिर तो हमेशा कहते रहे इधर कुआँ, उधर खाई,
अहमियत वक्त की तब समझ आई
जब जीवन में ठोकर पे ठोकर खाई।।
हर वक्त खुशियों की महफ़िल सजाई
पर एसी महफ़िल ही क्या
जिसमें वक्त की कीमत ही समझ न आई।
महफ़िल तो सजा दी हमने बेवक्त बेवजह
पर अंजाम की बात कभी अपने ज़हन में ना आई,
अहमियत वक्त की तब समझ आई
जब जीवन में ठोकर पर ठोकर खाई।।
-रोहित
ATI sundar