मेरा जीवन
खुद की आहट से क्यों डरता है
जीते जी क्यों मरता है
कष्ट नहीं विकराल इतना
डरता है तू उससे जितना
करके हौसला बढ़ कर तो देख
ऊंचाइयों पर चढ़कर तो देख
दुनिया जितनी ज़ालिम है
जीवन उतना अमिय है
जुटा अपनी ताकत को
और दुनिया को दिखा दे
मैं भी गुड़ाकोष हूँँ
यह पाठ सभी को सिखा दें
कठिनाइयों से पूछ क्या हाल करूं मैं तेरा
जा नहीं डरता मैं तुझसे क्योंकि जीवन है यह मेरा
– रीत(रितिका) दाँगी
Dear blogger,
आपकी पोस्ट बहुत अच्छी है। हम नए साल में एक वेबसाइट सुरु कर रहे है जिसमें हिन्दी की कविताएं कहानियां ग़ज़ल शायरी और कोट्स है। क्या हम आपकी पोस्ट अपनी पर सामिल कर सकते है? आपके नाम के साथ? इस नयी सुरुवात मै हमारा सहयोग दे। आपका धन्यवाद्।
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Very nice
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