मेरा जीवन
खुद की आहट से क्यों डरता है
जीते जी क्यों मरता है
कष्ट नहीं विकराल इतना
डरता है तू उससे जितना
करके हौसला बढ़ कर तो देख
ऊंचाइयों पर चढ़कर तो देख
दुनिया जितनी ज़ालिम है
जीवन उतना अमिय है
जुटा अपनी ताकत को
और दुनिया को दिखा दे
मैं भी गुड़ाकोष हूँँ
यह पाठ सभी को सिखा दें
कठिनाइयों से पूछ क्या हाल करूं मैं तेरा
जा नहीं डरता मैं तुझसे क्योंकि जीवन है यह मेरा
– रीत(रितिका) दाँगी
Dear blogger,
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Very nice