Tag Archives: विजयादशमी पर हिंदी में कविता

Hindi Poem on Vijaydashmi -रामायण के छोटे से भाग की कथा

आज सुनाती हूँ मैं रामायण के छोटे से भाग की कथा
क्यों लिया माँ सीता ने अपनी परीक्षा की प्रथा या
उत्पन हुआ था रावण के उस पाप से जो कहा गया है
मिला था उसको श्राप से उसने किया माँ सीता का अपहरण
और उन्हें लंका में ले आया ना जाने कितना किया परेशान
और ना जाने कितनी बार धमकाया प्रभु राम ने
जब मारा उसकी नाभि पे वार तब हुआ पाप का अंत और
उस पापी का संघार मनाया गया दिन वह
तब से दशहरा प्रसन्नता के रंग खिले लाल गुलाबी हरा सुनेहरा
परन्तु देश मे आज भी ऐसे पाप है
ऐसे रावण को जलाना हमें अपने आप है
देश में ऐसे रावण आते रहेंगे पर हमें प्रण लेना है
कि हम ऐसे रावण को मिटाते रहेंगे
हम समाज में कुछ ऐसे लाएँ कि ऐसे रावण आ ही ना पाये
हम कुछ ऐसा करे बार बार की इस देश का हो सुधार /em>
हमको करना होगा वो काम जिससे हमारे
फौजी पुलिस भी कर सके आराम
-जाह्नवी

Aaj sunati hoon mai Ramayan ke chote se bhaag ki katha
Kyu liya maa Sita ne agani pariksha ki paratha
Yah utpan hua tha Ravan ke us pap se jo kaha gaya hai
Mila tha usko shrap se Usne kiya maa Sita ka apharan
Aur unhe Lanka mai le aya na jane kitna kiya pareshan
Aur na Jane kitni baar dhamkaya Prabhu Ram ne
Jab mara uski naabhi pe vaar tab hua paap ka ant aur
Us papi ka sanghaar Manaya gaya din vah
Tab se Dussehera Parsannata ke rang khile lal, gulabi, hara, sunehera
Parantu desh mai aaj bhi aise paap hai
Aise Ravan ko jalana hume apne aap hai
Desh mei aise Ravan aate rahege par humein pran lena hai
Ki hum aise Ravan ko mitate rahenge
Hum samajh mai kuch aisa layein ki aise Ravan aa hi na paye
Hum kuch karein aisa baar baar ki is desh ka ho sudhaar
Humko karna hoga vo kaam jisse hamare
Fauji police bhi kar sakein araam
Jahnvi

Hindi Poem on Vijaydashmi – विजयदशमी का त्यौहार

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आज है विजयदशमी का त्यौहार
बुराई पर अच्छाई की जीत का वार
रावण संग जलेंगे कुम्भकरण मेघनाथ
बुरे काज में रावण का दिया जो साथ
सीता राम लक्ष्मण की जय जय कार
लंकापति को दिखाया हार का द्वार
ख़त्म हुआ अब राम लीला का वयापार
देखा हमने हर्ष से संग परिवार
-अनुष्का सूरी

Hindi Poem on Story of Dussehra – रावण दहन

 

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नौ सर वाला रावण
आज है उसका दहन
रावण ने किया सीता हरण
किया सीता से विवाह प्रयोजन
राम-लक्ष्मण हए अचंभित
सर काटें और लगे सर वापिस
विभीषण बना राम हमराज़
बताया नाभि का राज़
राम बाण ने हरे प्राण
बोलो जय सिया राम
रावण था बड़ा विद्वान
दिया अंतिम प्रवचन महान
अच्छे काज को करो तुरंत
बुरा काज को टालो कल पर
इन्ही अनमोल वचन का ध्यान
करेगा जो बनेगा महान

-अनुष्का सूरी