चलता चल
ग़म छूपा हँसता चल
खुद को ही छलता चल ।
कदमों में है मंजिल
बस उम्मीदें करता चल ।
राहें तो हैं मुश्किल
हिम्मत कर बढ़ता चल ।
रो मत कायर बनकर
आँसू पी लड़ता चल ।
रौशन कर दिल की लौ
अन्दर से जलता चल ।
-अजय प्रसाद
टी जी टी इंग्लिश
डीऐवी पीएस पीजीसी बिहारशरीफ़
नालंदा, बिहार-८०३२१६