Hindi poem on story of a dog
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Voice of a Dog – Tumhara Apna Moti

तुम्हारा अपना मोती
चुप चाप बैठा हूँ,
चाहिए बस एक कोना।
भूख बर्दाश्त नहीं होती,
तभी आता है रोना।
किसी ने मुझे मारा
तो किसी ने है मुझ पर चीखा।
मेरा जैसा भी व्यवहार है
सब आपसे ही सीखा।
न ध्यान देता समाज है
न ही कोई राजनेता।
न मैं किसी के लिए कोई मुद्दा हूं
न मै वोट देता।
कुछ तो सोचा
भगवान ने भी होगा।
तुम पर आश्रित होने
धरती पर क्यों भेजा।
उसे भी शायद विश्वास
बहुत था आप पर
वरना मुझे भी
निर्भर रख सकता था घास पर।
वफ़ादारी के किस्से
मेरे बहुत हैं जमाने में।
तादात कम नहीं हैं उनकी
जो लगे मुझे सताने में।
मेरा भी उतना हक है इस धरती पर
जितना है आपका।
ज़्यादातर सड़क पर हैं हम
तो कोई बिक रहा लाख का।
धर्म के आइने से ना देखो मुझे,
आज खतरा मुझे जान का।
इन्सानियत मुझ पर भी दिखाओ
भूखा हूँ मैं सम्मान का।
पापी पेट का सवाल है
वरना पसंद नहीं फेंकी हुई रोटी।
जल्दी घर के बाहर मिलता हूं।
सप्रेम तुम्हारा अपना मोती।
-गौरव खुराना