प्यारे प्यारे फूल रंग बिरंगे प्यारे फूल कितने कोमल कितने नाजूक खींचे सबको अपनी और खुशबू दूर दूर तक फैलाते सबको अपने पास बुलाते तुम भी बन कर फूल जैसे सजा दो धरती को बग़ीचे जैसे
-अनु बाला
Pyare pyare phool Rang birnge pyare phool Kitne komal kitne najuk Khinche sabko apni auor Khushbu dur dur tak falate Sbko apne paas bulate Tum bhi ban kr phool jaise Sja do dhrti ko bagiche jaise
जल ही है जीवन
जल ही है कारण
जल में ही पृथ्वी समाई
जल में ही जीवन की सच्चाई
जल के बिन मीन का ना जीवन
जल के बिन प्यासा जल उपवन
जल से ही होती है खेती खलियारी
जल से ही ही बनी है देह हमारी
जल ही है जो बरसता बन सावन
जल ही है जो देता है बंजर को जीवन
जल ही है पावन
जल ही है मंगल
जल ही है जन धन
जल ही है जन धन
रात का जब है घनघोर साया
तब आकाश में चाँद जगमगाया
टिमटिमाते तारों के आँगन में
गोल चकोर मन को भाया
चाँद की शीतल चांदनी ने
दबी आकाँक्षाओं को जगाया
चाँद कहता है सबसे रोज़
इंसान तू हार से क्यों घबराया
देख मुझे मेरे दाग देख
मुझपर बहुतों ने आरोप लगाया
मैं निडर सफ़ेद चादर ओढ़
आज फिर दोबारा यहीं आया
-अनुष्का सूरी
सीने में धड़कता हूँ
बिन बोले तडपता हूँ
शायरों की दुनिया की मैं हूँ कहानी
मेरे बिना नहीं कोई ज़िंदगानी
जब तक मैं हूँ सीने में जवां
तब तक है सामने ये जहाँ
इधर हुई तबियत मेरी कुछ खराब
समझ लो खतम है साँसें अब जनाब
हाँ सही सोचा अपने
मैं हूँ आपका दिल
-अनुष्का सूरी
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