Hindi Poem on Dreams-Jeevan Ka Marg


success-846055__340

जीवन का मार्ग
मैं जिसमें चुन -चुन कर कदम रखती हूँ,
जीवन का वो हर मार्ग मैं खुद ही बनाती हूँ।
एक भूलभूलैया सा नज़र आता है खुद की आँखों में,
मै अपनी नज़रों में ही खो जाती हूँ।
जीवन किसी रेल सा गुजरता है,
मैं किसी पुल की भाँति कंपकंपाती हूँ।
मै जिसमें चुन-चुन कर कदम रखती हूँ,
जीवन का वो मार्ग मैं खुद ही बनाती हूँ।
मैं जब तेरे बारे में सोचती हूँ ,
फिर दुनियाँ भूल जाती हूँ।
मेरे हर गम में साथ तेरा है,
तेरे होने से खुश सवेरा है।
तु जो हँसता है मुझे हँसाने की खातिर,
मैं दर्द में भी हँस देती हूँ।
मैं जिसमें चुन-चुन कर कदम रखती हूँ,
जीवन का वो मार्ग मैं खुद ही बनाती हूँ।
तेरी आँखों में नज़र आता है स्वप्न मेरा,
जो मै हर रात सोते जगते देखती हूँ।
पर जब ओझल तू हो जाता है,
हर स्वप्न बुलबुले की तरह मिट जाता है।
मैं भी अपनी नादानी समझकर फिर गहरी नींद में सो जाती हूँ।
मैं जिसमें चुन-चुन कर कदम रखती हूँ,
जीवन का वो मार्ग मैं खुद ही बनाती हूँ।
-कविता यादव

3 thoughts on “Hindi Poem on Dreams-Jeevan Ka Marg”

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.