Hindi Poem on Positive Thinking, Motivation and Self-Development

जब स्वयं के निर्माण की बात हो, तो फिर दो बातें खास हो जाती हैं। एक है बाहरी उन्नति और दूसरी है भीतरी उन्नति। बाहरी उन्नति से यह आवश्यक नहीं कि हमको आंतरिक शांति या सुकून का अनुभव हो ही जाये, किन्तु भीतरी उन्नति से अवश्य ही हम अधिक सकरात्मक वृत्ति के बन सकते हैं।
इस काव्य में कवयित्री खुशबू जी ने जीवन की पहेलियों को प्रस्तुत किया है। मनुष्य को सकरात्मक सोच की अत्यंत आवश्यकता है। इस तरह की विचारधारा को प्रसिद्ध कवि श्री हरिवंश राय जी ने भी अपने काव्य “कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ” में विनिमय किया है।

कविता का शीर्षक: क्या मिल पाएंगे इन प्रश्नों के उत्तर?
हार कर खुद से कैसे जी लेते हो
अपने आंसू खुद ही कैसे पी लेते हो

मुझे नहीं आता इस अकेलेपन से अब लड़ना
जब लगे सब बेगाने तो क्यों न हो अब आगे बढ़ना

कुछ ऐसे फैसले हैं जो बस औरों के साथ के लिए ही किये
जब वो लोग ही न समझे तो क्यों ही ये जिंदगी ऐसे जियें
क्या मिल पायेगी मुझे अब ऐसी कोई चिंगारी
जिससे लग जाये आग मन में और जीत लूँ दुनिया सारी
क्या मैं चमकूंगी कभी सूरज जैसे?

इन छोटे मोटे मुद्दों से कैसे बढ़ूँ मैं आगे?
क्या मैं अब धन्य हो पाऊँगी कृष्ण को पाके?

क्या कर लूँ खुद से एक पक्का वादा
क्या जीत पाऊँगी कभी, इतना पक्का है मेरा इरादा?

टूट कर अंदर से कैसे जुड़ते हैं?
अँधेरे से उजाले की ओर कैसे मुड़ते हैं?

कैसे समझें कि कौन है अपना और कौन पराया?
क्या खोकर हमने क्या है पाया?

ये लड़ाई खुद की है खुद ही लड़ना है मुझको
खुद ही अब आगे हिम्मत से बढ़ना है मुझको

साथ क्या कोई किसी का है दे पाया?
क्या किसी ने पराये दर्द को कभी अपना बनाया?

चाहिए क्या तुझको ये पता है जीवन से?
कैसे लड़ना है इस बेईमान मन से ?

खुशबू (कवयित्री का नाम)

Title of the Poem: Kya mil payenge in parashon ke uttar?

Har kar khud se kaise jee le te ho
Apne aasun khud hi kaise pee le te ho

Mujhe nahi aata is akelepan se ab ladna
Jab lage sab begane to kyun nahi ab aage badhna

Kuch aise faiseln hain jo bas auro ke sath ke liye hi kiye
Jab vo log hi na samje to kyun hi ye zindagi aise jiyen
Kya mil paayegi mujhe ab aisi koi chingari
Jiise lag jaaye aag man me aur jeet lun ye duniya sari

Kya parivaratan ho payega ab khud me aisa
Kya mai chamkungi kabhi suraj jaise?

In chote mote muddun se kaise badhun main aage?
Kya mai ab dhyanya ho paungi Krishn ko paake?

Kya Kar lun khud se ek pakka vada
Kya Jeet paungi kabhi, itna pakka hai mera irada?

Tut kar andar se kaise judte hain?
Andhere se ujale ki ore kaise mudte hain?

Kaise samjhein ki kon hai apna aur kon paraya
Kya kho kar humne kya hai paya?

Ye ladayi khud ki hai khud hi ladna hai mujhko
Khud hi aage ab himmat se badhna hai mujhko

Sath kya koi kisi ka hai de paya?
Kya kisi paraye dard ko kabhi apna banaya?

Chahiye kya tujhko ye pata hai jeevan se?
Kaise ladna hai is beiman man se?

Khushbu (Name of Poet)

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Happy Krishn Janmashthami Poem- Tu Wohi Krishna, Manoharwala

जब किसी के बारे में कुछ कहना हो, तो कविता अधिक सुलभ माध्यम है। किन्तु जब हमारे प्राणों के आधार, पूर्णतम पुरुषोत्तम श्री कृष्ण के गुणों का गान करना हो, तो शब्द भी पूर्णतः समर्थ नहीं हो पाते। श्री कृष्ण के प्राकट्य दिवस जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर एक कवि द्वारा भेजी गयी कविता प्रकाशित कर रहे हैं। आप सभी इस काव्य को पढ़ें और प्रभु के गुणों एवं लीलाओं का ध्यान करें।
राधे राधे

श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर हर्ष पटेल जी की इस रचना का आनंद उठाएं:

कविता का शीर्षक: तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
सर पर मोरपंख धारण करनेवाला
राधा रानी की चाकरी करने वाला
गोपियों संग रास रचने वाला
मथुरा में रहने वाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला

तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
रुकमणी से विवाह करने वाला
माखन मिश्री चुराकर खाने वाला
वृन्दावन में सबके दिलों में बसने वाला
झूला झूलनेवाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला

तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
पीला पीतांबर धारण करनेवाला
वन माला पहनने वाला
बांसुरी बजाने वाला
लीलाएं रचने वाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला

तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
धरती पे प्रेम को स्थापित करने वाला
मटकियां फोड़ने वाला
गैया को चराने वाला
यमुना तट बंसी बजाने वाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला

तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
शिशुपाल की सौ गाली सहने वाला
द्वारिका नगरी बसाने वाला
मुख में ब्रह्माण्ड दिखाने वाला
सत्य वचन बोलने वाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला

तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
जरासंध से डरके रण छोड़ने वाला
भद्रपद में अष्टमी तिथि पे रोहिणी नक्षत्र में जनम लेनेवाला
सुदर्शन चक्र धारण करने वाला
शेषनाग पे सोने वाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला

तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
कंस का वध करने वाला
द्वापर युग में अवतार लेने वाला
गोवर्धन पर्वत ऊँगली पे उठाने वाला
महाभारत में अर्जुन का सारथी बनने वाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला

तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
भाई बलराम से मीठी नोक-झोंक करने वाला
सुदामा से मित्रता निभाने वाला
विष्णु का पूर्ण पुरुषोत्तम अवतार लेने वाला
महर्षी संदीपनी का शिष्य बनने वाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला

तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
पीत पट धारण करने वाला
कुन्ती बुआ को दिया वचन निभाने वाला
कालिया नाग को सबक सिखाने वाला
मधुर वाणी बोलनेवाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला

तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
अपने भक्तों के प्रेम वश होने वाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
चौसठ कलाओं का अवतारी
गीता उपदेश देने वाला
सृष्टि के कण कण में बसने वाला
तू वो ही कृष्ण, मनोहरवाला
मनोहरवाला..
मनोहरवाला..

हर्ष पटेल (कवि का नाम)

Poem Title: Tu wohi Krishn Manoharwala

Tu wohi Krishna, Manoharwala………..
Sir pe Morpankh Dharan karnewala;
Radha Rani ki Chakri karne wala;
Gopiya sang raas rachanewala;
Mathura me rehnewala;
Tu wohi Krishna, Manoharwala………..

Tu wohi Krishna, Manoharwala………..
Rukmini se vivah karnewala;
makhan-mishri churake khanewala;
Vrindavan me sabke dilo mein basnewala;
Juhla julnewala;
Tu wohi Krishna, Manoharwala………..

Tu wohi Krishna, Manoharwala………..
Pila pitambaar Dharan karnewala;
Van mala pehnewala;
Basuri bajanewala;
Leelayeh rachnewala;
Tu wohi Krishna, Manoharwala………..

Tu wohi Krishna, Manoharwala………..
Dharti pe prem ko Sthapit karnewala;
Matkiya phodnewala;
Gaiya ko charanewala;
Yamuna tat bansi bajanewala;
Tu wohi Krishna, Manoharwala………..

Tu wohi Krishna, Manoharwala………..
Shishupal ki 100 gaali sehne wala..
Dwarka Nagri Basanewala
Mukh me Brahmand dikhanewala
Satya Vachan bolnewala
Tu wohi Krishna, Manoharwala………..

Tu Wohi Krishna, Manoharwala………..
Jarasandh se darke ran chodne wala
Bhadrapad me ashtmi tithi pe rohini nakshatra mein janam lenewala
Sudarshan Chakra dharan karne wala
Shesh Naag pe soney wala
Tu wohi Krishna, Manoharwala………..

Tu wohi Krishna, Manoharwala………..
Kans ka vadh karnewala
Dwapar yug me aavtar lenewala
Govardhan parvat ungli pe uthanewala
Mahabharat me arjun ka sarthi bannewala
Tu wohi Krishna, Manoharwala………..

Tu wohi Krishna, Manoharwala………..
Bhai balram se mithi nauk-jokh karnewala
Sudama se mitrata nibhanewala
Vishnu ka poorn purushottam avtar lene wala
Maharshi Sandeepani ka shishya bannewala
Tu wohi Krishna, Manoharwala………..

Tu wohi Krishna, Manoharwala………..
Peet pat dharan karnewala
Kunti bua ko diya vachan nibhanewala
Kaliya Naag ko sabakh sikhanewala
Madhur vani bolnewala
Tu wohi Krishna, Manoharwala………..

Tu wohi Krishna, Manoharwala……….
Aapne bhakto ke prem vash hone wala
Chausath kalao ka avtaari
Geeta updesh denewala
Shrishti ke kan kan me basnewala
Tu wohi Krishna, Manoharwala………..
Manoharwala………..
Manoharwala………..

Poet Name (Harsh Patel)

Hindi Poem on Dowry Evil – Dahej Pratha -दहेज प्रथा पर कविता

भारत में दहेज़ की प्रणाली लड़कियों के परिवार के लिए एक कोप है। हर वर्ष हज़ारों महिलाएं दहेज़ सम्बंधित शोषण का शिकार होती हैं। यह कविता इस प्रथा के मर्म की अभिव्यक्ति है।

दहेज – प्रथा (कविता का शीर्षक)

लानत है इस दहेज की हिंदू समाज पर,
ज़रा गौर करो तुम इस रीति रिवाज पर !
मैं तुमको सुनाता हूं एक सच्ची कहानी,
लखनऊ में थी एक बस्ती पुरानी !!
लड़के और लड़की का पिता मज़दूर था,
बच्चों को छोड़ चल बसा वह मजबूर था !
अब बहन रहती थी भाई के पास,
हर दम उसका चेहरा रहता था उदास !!
भाई ने सोचा बहन का रिश्ता में जोड़ दूं,
बिना दहेज के एक नया मोड़ लूँ !
अब भाई ने कर दी बहन की सगाई
और कहने लगा की तू हुई पराई !!
घर की गरीबी तुझसे छिपाई नहीं जाती
और यहाँ रोटी के साथ सब्जी बनाई नहीं जाती !
देने को तो मेरे पास कुछ भी नहीं,
सोने की अंगूठी और पाजेब भी नहीं !!
खैर जो कुछ भी है मेरे पास सो मैं लुटा दूंगा,
अरमानों से तेरा दहेज मैं सजा दूंगा !!!
वो दिन आ गया, वो रात आ गई,
जब दुल्हन के घर बारात आ गई !
दूल्हे के बाप ने जब मांगा दहेज,
बहन और भाई पर तो मौत छा गई !!
दुल्हन ने बाप को बहुत समझाया,
मरने पर साथ ना जायगी तेरी ये माया !
आखिरकार बाप ने स्वीकार किया और कहा अंधेर हो गया,
भाई तो वहीं पर मरकर ढेर हो गया !!
दुल्हन ने गाड़ी के नीचे सिर झुका दिया
और दुनिया में पैसे वालों को नीचा दिखा दिया !
बस मेरा तुम सबको यही पैगाम है,
कि दुनिया में गरीबों का जीना हराम है
दुनिया में गरीबों का जीना हराम है !! धन्यवाद !!
-आशीष गर्ग (कवि)

कविता का भावार्थ:

कवि भारत में प्रचलित दहेज की प्रथा के कुकर्म के बारे में समाज को जागरुक करना चाहता है।

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Hindi Diwas Poem-Hindi Hindustan

हिन्दी-हिन्दुस्तान (कविता का शीर्षक)

हिन्दी-हिन्दुस्तान आगाज़ हूँ
मैं सच्चा अच्छा सा नाम हूँ,
परवाज़ हूँ मैं पक्का,
पक्का तमाम हूँ,
मुझसे हुई है महफ़िल
रोशनसरा यहाँ,
हिंदी है मेरी भाषा
मैं हिंदुस्तान हूँ।
हिंदी है मेरी…………
पक्का मिलूं कभी मैं,
कभी कच्चा मकान हूँ,
मिटा नहीं जो अबतक
ऐसा निशान हूँ,
कायम रखी है मैंने
रिवायाते दोस्ती,
दुनियां की भीड़ में भी,
तेरी ही शान हूँ,
हिंदी है मेरी…………
करते सभी हैं सारे
ऐसा मैं काम हूँ,
घंटी कहीं हूँ मैं
कहीं देखो अज़ान हूँ,
मुझमें बसी है यादें
किरदारे ज़ौक़ की,
मैं आन हूँ मैं इज्जत,
मैं इम्तिहान हूँ।
हिंदी है मेरी…………
मालूम है मुझे
कि मैं सख्त जान हूँ,
मुश्किल कहीं हूँ मैं
कहीं बिलकुल आसान हूँ,
करता हूँ रोज़ बातें
इज़हारे ख़ौफ़ की,
मैं खास हूँ कहीं पर,
कहीं देखो तो आम हूँ।
हिंदी है मेरी…………

मो0 मुजीबुर्रहमान (कवि का नाम)

कवि का सन्देश:

हिन्दी दिवस विशेष

Hindi Hindustan (Poetry Title)

Hindi Hindustan Agaaz hu
Main saccha, accha se naam hu,
Parwaz hu main pakka,
Pakka tamaam hu,
Mujhse hui hai mehfil
Roshansara yahan,
Hindi hai meri bhasha
Main Hindustan hu.
Hindi hai meri…………
Pakka milu kabhi main,
Kabhi kacha makaan hu,
Mita nahi hai jo ab tak
Aisa nishaan hu,
Kayam rakhi hai maine
Rivayate dosti,
Duniya ki bheed mein bhi,
Teri hi shaan hu,
Hindi hai meri…………
Karte sabhi hain saare
Aisa main kaam hu,
Ghanti kahi hu main
Kahi dekho azaan hu,
Mujhmein basi hai yadein
Kidaare zok ki,
Main aan hu main izzat,
Main imtehaan hu.
Hindi hai meri…………
Maloom hai mujhe
Ki main sakht jaan hu,
Mushkil kahi hu main
Kahi bilkul asaan hu,
Karta hoo roz batein
Izhaare khof ki,
Main khas hu kahi par,
Kahi dekho to aam hu.
Hindi hai meri…………

Moh. Mujeebur Rahman

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Hindi Poem on Life Struggles – Aey Zindagi

ज़िन्दगी एक नदी के समान होती है – वह जन्म से लेकर आखरी सांस तक चलती रहती है। कभी सुख का समय आता है और कभी जीवन कठिन हो जाता है। आइये इस कठिन जीवन पर कविता द्वारा ज़िन्दगी के उतार चढ़ावों का अनुभव करें :

ऐ ज़िंदगी (कविता का शीर्षक)
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ,
कम ज़रा ये रश्क करले ।
शिकायतें हैं जो,
कभी तो बयां करदे ।
हारी हुई शामों में,
साथ एक पल का तो दे- दे
कभी तो गले से लगाले ।
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ,
कम ज़रा ये रश्क करले
उलझने मन की,
कभी तो सुन ले ।
कब तक अनजान रहेगी तू ,
कभी तो अपना पता बता दे ,
खिजा से कभी तो बहार लादे ,
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ,
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ।
-पार्शवी वर्मा (कवयित्री)

Aey Zindagi
Aey zindagi kabhi to ishq karle,
Kam zara ye rashq karle.
Shikayatein hain jo,
Kabhi to bayaan karde.
Haari hui shamo mein,
Sath ek pal ka to de de,
Kabhi to galey se laga le.
Aey zindagi kabhi to ishq karle,
am zara ye rashq karle.
Uljhanein man ki,
Kabhi to sun le.
Kab tak anjaan rahegi tu,
Kabhi to apna pata bata de,
Khija se kabhi to bahaar la de,
Aey zindagi kabhi to ishq karle,
Aey zindagi kabhi to ishq karle.
-Parshavi Verma

कविता का भावार्थ:

यह कविता कवि के जीवन की सबसे कठोर परिस्थितियों का वर्णन करती है |

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