Category Archives: Abstract Poems

Motivational Poem on Struggles of Life-Mukaam Payega

कविता का शीर्षक: मुकाम पायेगा

जीवन के इस खेल में, तू सौ बार हारेगा
मंज़िल और जीत में कभी एक कदम का फासला रहेगा
पर हर हार के बाद, सीधा सा एक रास्ता होगा
चल कर जिसपर तू, अपनी मंज़िल के पास होगा
डर लगेगा बहुत पर, उसे तू खुद ही हराएगा
जिस दिन तू अपने मुकाम पर पहुंचेगा,
तब ये धूप छाँव का खेल ख़त्म हो जायेगा

कवयित्री का नाम -जान्हवी गुप्ता

कविता का भावार्थ:

कवयित्री जान्हवी जीवन के संघर्षों के विषय में सकरात्मक सोच रखने की प्रेरणा दे रही हैं।

Translation of Poem:

In this poem, poetess Janhvi pens the struggles of life and how patience and perseverance is required to win despite several failures.

Hindi Poem on Traveler: Ek Musafir

कविता का शीर्षक: एक मुसाफिर

साथ चलता एक मुसाफिर
हर बात मानता वह मुसाफिर
हर बार काम आता वो ही मुसाफिर
किसको पड़ी थी उस मुसाफिर की
हर बार अकेला ही छोड़ दिया जाता उसे
न जाने कितनों के काम वह आता
बिना किसी उम्मीद के, वह हर किसी की मदद करता
सामने उसके बढ़ाई होती
कहने को तो साथ रहता है
पर हर बार तनहा ही रह जाता है

कवयित्री का नाम -अंजलि कुमारी

कविता का सार:

इस कविता के माध्यम से अंजलि जी ने जीवन के रास्ते पर चल रहे मुसाफिर की चर्चा की है। वह मुसाफिर सबसे मिलता है, उनकी मदद करता है किन्तु अपने रास्ते पर अकेले ही अग्रसर है।

Translation of Poetry:

This poem has been composed by Ms. Anjali Kumari. In this poem, she talks about a traveler who is helping others and yet keeps moving on his path of line as a lonely person. The poem has a deep connotation towards the journey of life where we do meet people for a short time and then carry on with our lives.

Hindi Poem on Positive Thinking, Motivation and Self-Development

जब स्वयं के निर्माण की बात हो, तो फिर दो बातें खास हो जाती हैं। एक है बाहरी उन्नति और दूसरी है भीतरी उन्नति। बाहरी उन्नति से यह आवश्यक नहीं कि हमको आंतरिक शांति या सुकून का अनुभव हो ही जाये, किन्तु भीतरी उन्नति से अवश्य ही हम अधिक सकरात्मक वृत्ति के बन सकते हैं।
इस काव्य में कवयित्री खुशबू जी ने जीवन की पहेलियों को प्रस्तुत किया है। मनुष्य को सकरात्मक सोच की अत्यंत आवश्यकता है। इस तरह की विचारधारा को प्रसिद्ध कवि श्री हरिवंश राय जी ने भी अपने काव्य “कोशिश करने वालों की हार नहीं होती ” में विनिमय किया है।

कविता का शीर्षक: क्या मिल पाएंगे इन प्रश्नों के उत्तर?
हार कर खुद से कैसे जी लेते हो
अपने आंसू खुद ही कैसे पी लेते हो

मुझे नहीं आता इस अकेलेपन से अब लड़ना
जब लगे सब बेगाने तो क्यों न हो अब आगे बढ़ना

कुछ ऐसे फैसले हैं जो बस औरों के साथ के लिए ही किये
जब वो लोग ही न समझे तो क्यों ही ये जिंदगी ऐसे जियें
क्या मिल पायेगी मुझे अब ऐसी कोई चिंगारी
जिससे लग जाये आग मन में और जीत लूँ दुनिया सारी
क्या मैं चमकूंगी कभी सूरज जैसे?

इन छोटे मोटे मुद्दों से कैसे बढ़ूँ मैं आगे?
क्या मैं अब धन्य हो पाऊँगी कृष्ण को पाके?

क्या कर लूँ खुद से एक पक्का वादा
क्या जीत पाऊँगी कभी, इतना पक्का है मेरा इरादा?

टूट कर अंदर से कैसे जुड़ते हैं?
अँधेरे से उजाले की ओर कैसे मुड़ते हैं?

कैसे समझें कि कौन है अपना और कौन पराया?
क्या खोकर हमने क्या है पाया?

ये लड़ाई खुद की है खुद ही लड़ना है मुझको
खुद ही अब आगे हिम्मत से बढ़ना है मुझको

साथ क्या कोई किसी का है दे पाया?
क्या किसी ने पराये दर्द को कभी अपना बनाया?

चाहिए क्या तुझको ये पता है जीवन से?
कैसे लड़ना है इस बेईमान मन से ?

खुशबू (कवयित्री का नाम)

Title of the Poem: Kya mil payenge in parashon ke uttar?

Har kar khud se kaise jee le te ho
Apne aasun khud hi kaise pee le te ho

Mujhe nahi aata is akelepan se ab ladna
Jab lage sab begane to kyun nahi ab aage badhna

Kuch aise faiseln hain jo bas auro ke sath ke liye hi kiye
Jab vo log hi na samje to kyun hi ye zindagi aise jiyen
Kya mil paayegi mujhe ab aisi koi chingari
Jiise lag jaaye aag man me aur jeet lun ye duniya sari

Kya parivaratan ho payega ab khud me aisa
Kya mai chamkungi kabhi suraj jaise?

In chote mote muddun se kaise badhun main aage?
Kya mai ab dhyanya ho paungi Krishn ko paake?

Kya Kar lun khud se ek pakka vada
Kya Jeet paungi kabhi, itna pakka hai mera irada?

Tut kar andar se kaise judte hain?
Andhere se ujale ki ore kaise mudte hain?

Kaise samjhein ki kon hai apna aur kon paraya
Kya kho kar humne kya hai paya?

Ye ladayi khud ki hai khud hi ladna hai mujhko
Khud hi aage ab himmat se badhna hai mujhko

Sath kya koi kisi ka hai de paya?
Kya kisi paraye dard ko kabhi apna banaya?

Chahiye kya tujhko ye pata hai jeevan se?
Kaise ladna hai is beiman man se?

Khushbu (Name of Poet)

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Hindi Poem on Life Struggles – Aey Zindagi

ज़िन्दगी एक नदी के समान होती है – वह जन्म से लेकर आखरी सांस तक चलती रहती है। कभी सुख का समय आता है और कभी जीवन कठिन हो जाता है। आइये इस कठिन जीवन पर कविता द्वारा ज़िन्दगी के उतार चढ़ावों का अनुभव करें :

ऐ ज़िंदगी (कविता का शीर्षक)
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ,
कम ज़रा ये रश्क करले ।
शिकायतें हैं जो,
कभी तो बयां करदे ।
हारी हुई शामों में,
साथ एक पल का तो दे- दे
कभी तो गले से लगाले ।
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ,
कम ज़रा ये रश्क करले
उलझने मन की,
कभी तो सुन ले ।
कब तक अनजान रहेगी तू ,
कभी तो अपना पता बता दे ,
खिजा से कभी तो बहार लादे ,
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ,
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ।
-पार्शवी वर्मा (कवयित्री)

Aey Zindagi
Aey zindagi kabhi to ishq karle,
Kam zara ye rashq karle.
Shikayatein hain jo,
Kabhi to bayaan karde.
Haari hui shamo mein,
Sath ek pal ka to de de,
Kabhi to galey se laga le.
Aey zindagi kabhi to ishq karle,
am zara ye rashq karle.
Uljhanein man ki,
Kabhi to sun le.
Kab tak anjaan rahegi tu,
Kabhi to apna pata bata de,
Khija se kabhi to bahaar la de,
Aey zindagi kabhi to ishq karle,
Aey zindagi kabhi to ishq karle.
-Parshavi Verma

कविता का भावार्थ:

यह कविता कवि के जीवन की सबसे कठोर परिस्थितियों का वर्णन करती है |

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Good Morning Poem in Hindi-Sundar Subah

Good Morning

सुन्दर सुबह (कविता का शीर्षक)
सूरज आने वाला है
सूरज आने वाला है
कौन कौन और आयेगा
सोचकर इतराती मैं
सूरज संग किरणें लाएगा
खुशी का माहौल छायेगा
नन्हे पौधे मुसकुराऐंगे
फसलों के खेत खिलखिलाएंगे
सूरज आने वाला है
सूरज आने वाला है
फूल खिल उठेंगे
अब भौरे भी मंडराऐंगे
तितलियाँ रस चुरा लेंगी
पक्षी भी इठलाऐंगे
भौरे ,पक्षी , तितली, पौधे
सभी खुशी से खिल उठेंगे
लेकिन मानव उदासी के साथ
आलस की डोरियों मे बंधकर
क्यों सुंदर सुबह से रूठेंगे!?
-ख़ुशी (कवयित्री)

कविता का सन्देश:

इस कविता के माध्यम से मेरा मतलब है कि प्रातः काल में सारे पौधे, पक्षी ख़ुशी से खिल उठते हैं लेकिन मानव हालात की डोरियों में बंध कर ही रह जाते हैं और सुन्दर प्रभात का फायदा नहीं उठा पाते।

Sundar Subah (Title of Poem)
Suraj aane wala hai
Suraj aane wala hai
Kaun kaun aur ayega
Sochkar itrati main
Suraj sang kiranein layega
Khushi ka mahaul chhayega
Nanhe paudhey muskurayenge
Faslo mein khet khilkhilayenge
Suraj aane wala hai
Suraj aane wala hai
Phool khil uthenge

An bhaurey bhi mandrayenge
Titliyan ras chura lengi
Pakshi bhi ithlayenge
Bhaurey, pakshi, titli, paudhey
Sabhi khushi se khil uthenge
Lekin manav udasi ke sath
Alas ki doriyo mein bandhkar
Kyo sundar subah se ruthenge?
-Khushi (Poet)